रात...
तेरी याद यूँ मचल के आई
की मेरी पलकों से
नींद
जुदा हो गयी...
तमाम रात
में तेरे ख्यालों में
खोया रहा...
छत पे खड़ा
तारों को गिनता रहा...
फिर न जाने
रात के कौन से पहर
मैंने तेरा नाम
हाथ पे लिख कर
उस पर अपने होठ रख दिए...
और मुझे तेरे ख्वाब के साथ
नींद आ गयी...
कविता संग्रह 'हो न हो से'
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