Friday, 7 September 2012

तेरा नाम...



रात...
तेरी याद यूँ मचल के आई
की मेरी पलकों से
नींद
जुदा हो गयी...
तमाम रात 
में तेरे ख्यालों में
खोया रहा...
छत पे खड़ा
तारों को गिनता रहा...
फिर न जाने 
रात के कौन से पहर
मैंने तेरा नाम
हाथ पे लिख कर 
उस पर अपने होठ रख दिए...
और मुझे तेरे ख्वाब के साथ
नींद आ गयी...

कविता संग्रह 'हो न हो से'

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