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Friday, 17 July 2015

बल,संगीत और रंगो का संगम है बाहुबली - सुधीर मौर्य

दस जुलाई को रिलीस हुई एस एस राजमौली निर्देशित फिल्म बाहुबली एपिक ऐतहासिक गल्प पे आधारित एक नया कीर्तमान है। फिल्म के मुख्य कलाकार प्रभास (शिवद्दु) तमन्ना भाटिया (अवन्तिका) और अनुश्का (रानी देवसेना) हे
फ़िल्म की  शुरआत राजकीय षडयन्त्र से होती हे और एक स्त्री अपनी बाँहों में एक छोटे बच्चे को लेकर झरना पार करते हुए दिखती है। दो  सैनिक उसका पीछा करते रहते हैं। वह अपने बच्चे को पानी से बचाने के लिए स्वयं नदी मे  चली जाती है और बच्चे को ऊपर रखती है।
ये बच्चा झरनॆ के पास एक गाव के मुखिया के यहा पलता हे जो झरने के ऊपर पहाडो के बीच स्थित महिष्मती राज्य का राजकुमार हे । वह बालक शिवुडु (प्रभास) बड़ा हो कर एक दिन झरने  के ऊपर पहुच जाता है। और वहा उसकी मुलाकात अवंतिका (तमन्ना) से होती है। और फ़िर शिवुडू के बल और तमन्ना के रङ्गो का मेल होता हे । कल - कल बह्ते झरने, पहाडो पे बिछी सङ्ग्मरमर सी बर्फ़ और नीले रङ्ग की सिमटती - बिखरती तितलिया एक अजब समा बान्ध देती हे । जहा अवन्तिका सिवुडू से मिलने से पहले बदामी रङ्ग की एक योद्धा होती हे जो महिष्मती के अत्याचारी राजा भल्लाल के खिलाफ़ छापामार लडाई लडती हे वही शिवुडू से मिलने के बाद वो लाल रङ्ग की परी सी लगती हे । शिवुडू इस लडाई मे अवन्तिका का साथ देता हे और रानी देव्सेना को भल्लाल के केद से छुडा लाता हे जो पच्चीस साल से भल्लाल की केद मे हे। ये रानी देवसेना असल मे शिवुडू की मा होती हे । और यहा से फ़िल्म फ़्लेश बेक मे चली जाती हे । 
जब  शिवुडु के दादा जी को राजा बनाया गया। इस निर्णय पर बज्जला ने यह सोचा कि यह उसके अपंगता के कारण किया गया है। लेकिन उसके भाई की मृत्यु के पश्चात उसे लगता है की अब उसका बेटा नया राजा बनेगा। लेकिन पिछले राजा की पत्नी मरने से पहले अमरेन्द्र बाहुबली को जन्म देती है। बज्जला की पत्नी सीवगामी (रम्या कृष्णन) उत्तराधिकारी के लिए पूरी तरह से सही फैसला लेनें के लिए यह कहती है कि जो भी इसके लिए उपयुक्त होगा वही इस इस गद्दी में बैठेगा। इसके बाद महिष्मती पे एक बहुत बडा हम्ला होता हे और एक बहुत बड़े युद्ध के बाद बाहुबली को नया राजा बना दिया जाता है और भल्लाला देव को सेनाध्यक्ष के पद दे दिया जाता है। अभी फ़िल्म अपनी रोचक्ता की चरम पे होती हे कि महान राज्य्भक्त कट्प्पा के द्वरा बहुबली की धोके से हत्या कर दी जाती हे और यही पे फ़िल्म रुक जाती हे अपने दुसरे भाग के लिये.
अब जब तक ये ना जान लिया जाये राज्य्भक्त कटप्पा ने बहुबली को क्यो मारा और अम्रेन्द्रा बाहुबली के लड्के महेन्द्रा बाहुबली ने भल्लाल को मारकर किस तरह बदला लिया तब तक सुकून नही मिलेगा। और इन्त्जार रहेगा बाहुबली के दुसरे भाग का तो बाहुबली को देखने की सशक्त वजहे हेप्रभास के बाहुबल, तमन्ना के रङ्ग और झर - झर बहते झरने और पहाडो की खुबसूरती
तो अगर नही देखी तो हे ये रोमञ्चक फ़िल्म तो तुरन्त देख डालिय्रे वादा हे एक मिनट को भी जो प्रभास और तमन्ना पलक झपकने दे

--सुधीर मौर्य    

Saturday, 19 January 2013

हाँ सुधीर ने तराशा है चित्रांगदा सिंह को..


इंकार फिल्म के निर्देशक सुधीर मिश्रा का कहना है कि वो जब भी अपनी फिल्म के किरदार के बारे में सोचते हैं तो उनके दिमाग में सिर्फ एक ही नाम और चेहरा आता है और वो नाम और चेहरा है बॉलीवुड की खूबसूरत एक्ट्रेस चित्रांगदा सिंह का। सुधीर का कहना है कि चित्रांगदा सिंह को सोचकर ही वो अपनी फिल्मों का कोई भी किरदार लिखते हैं। असल में सुधीर ने ऐसा तब कहा जब मीडिया ने उनसे पूछा कि वो चित्रांगदा सिंह को ही अपनी फिल्मों में मुख्य किरदार लेते हैं। ज्ञात हो कि चित्रांगदा सिंह को बॉलीवुड में लाने वाले भी सुधीर मिश्रा ही थे। सुधीर मिश्रा की फिल्म हजारों ख्वाहिशें ऐसी से ही चित्रांगदा सिंह ने बॉलीवुड में कदम रखा था और इसके बाद सुधीर की ही फिल्म ये साली जिंदगी से चित्रांगदा ने अपनी वापसी की थी। चित्रांगदा सिंह हज़रों ख्वाहिशें ऐसी फिल्म के बाद बॉलीवुड से कुछ लापता सी हो गयी थीं उन्हें अच्छे किरदार भी नहीं मिल रहे थे और वो सेकेंड लीड रोल करने के लिए बाध्य हो रही थीं। फिल्म जोकर में चित्रांगदा सिंह ने एक आइटम सॉंग किया था जो कि काफी फेमस हुआ था। इस आइटम सॉंग के बाद चित्रागंदा सिंह का बयान आया कि उन्हें इस गाने को करने पर अफसोस हो रहा है। हालांकि चित्रांगदा सिंह का मानना है कि वो बोल्ड नहीं हैं उनसे कई ज्यादा बोल्ड एक्ट्रेसेस फिल्मों में हैं। चित्रांगदा सिंह के टैलेंट पर किसी को कोई शक नहीं है लेकिन लगता है कि निर्देशक सुधीर मिश्रा को इस हॉट और बोल्ड एक्ट्रेस में कुछ ज्यादा ही टैलेंट नज़र आने लगा है? इनकार फिल्म में चित्रांगदा सिंह कुछ बोल्ड सीन दिए हैं पर  आजकल इस तरह के सीन हर फिल्म में आम बात हो गए हैं। इनकार में चित्रांगदा ने कुशल और मझी हुई अभिनेत्री का पूरा परिचय दिया है। निश्चय ही ये फिल्म चित्रांगदा के करियर में निखार लेके आयगी   

Tuesday, 2 October 2012

प्रियंका चोपड़ा - कदम ऊँचाइयों की ओर...



जन्मदिन-8 जुलाई
जन्मस्थान- जमशेदपुर
कद- 5 फुट 9 फुट
कैरियर के शुरूआती लम्हों में ही ऐतराज में निगेटिव भूमिका निभाकर फिल्मी पंडितों का चौंका देने वाली प्रियंका चोपड़ा की गिनती आज इंडस्ट्री की टॉप हिरोइनों में होती है। चार वर्षो के छोटे से फिल्मी सफर में ही प्रियंका चोपड़ा ने दर्शकों के बीच अपनी प्रभावी पहचान बनायी है। आज उनके पास कई बड़े बैनर की फिल्में हैं। मिस व‌र्ल्ड प्रतियोगिता में भारत का परचम लहराने वाली प्रियंका चोपड़ा का फिल्मी कैरियर आज अपने उफान पर है। यह प्रियंका चोपड़ा की लोकप्रियता और उनकी फिल्मों को मिल रही सफलता का ही नतीजा है कि कई बड़े निर्माता-निर्देशक उन्हें अपनी फिल्म में साइन करने के लिए लालायित हैं।
निर्माताओं की इस पहल में रंग दे बसंती और मेट्रो जैसी फिल्में बनाने वाली प्रतिष्ठित प्रोडक्शन कंपनी यूटीवी मोशन पिक्चर्स ने प्रियंका चोपड़ा के साथ एक बड़ी डील साइन की है। प्रियंका चोपड़ा ने यूटीवी के साथ अगले चार वर्ष में तीन फिल्में करने की डील साइन की है। कृश और डॉन की दोहरी सफलता ने प्रियंका चोपड़ा की प्रसिद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। प्रियंका हर तरह की भूमिका में स्वयं को ढाल लेती हैं चाहे वह ऐतराज की निगेटिव भूमिका हो या मुझसे शादी करोगी की हल्की-फुल्की भूमिका। प्रियंका चोपड़ा की इसी विशेषता ने उन्हें सभी वर्ग के दर्शकों में लोकप्रिय बनाया है। दरअसल, जब प्रियंका चोपड़ा ने फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश किया था, तभी से उनमें एक सफल अभिनेत्री की संभावनायें देखी जाने लगी थीं। उनमें ग्लैमर और अभिनय क्षमता का अद्भुत तालमेल है, वे एक आम घरेलू लड़की की भूमिका में भी उतनी ही सहज दिखती हैं, जितनी आइटम गर्ल की भूमिका में। हालांकि प्रियंका चोपड़ा की पिछली प्रदर्शित फिल्म सलाम-ए-इश्क बॉक्स ऑफिस पर असफल रही, पर इस बार भी उन्होंने अपने प्रशंसकों को निराश नहीं किया। आने वाले दिनों में वे अभिषेक बच्चन के साथ द्रोण और हरमन बावेजा के साथ लव स्टोरी 2050 में दिखेंगी। छोटे से शहर बरेली से मिस व‌र्ल्ड और फिर सफल अभिनेत्री तक के सफर में प्रियंका का आत्मविश्वास और उनके परिवार का साथ हमेशा ही उनके साथ रहा। अपने फिल्मी कैरियर की इन ऊंचाइयों को छूने के बाद भी प्रियंका चोपड़ा खुद को एक आम लड़की के रूप में ही देखती हैं।
करियर की मुख्य फिल्में
वर्ष फिल्म चरित्र
2003- द हीरो- शाहीन जकारिया
2003- अंदाज- जिया सिंघानिया
2004- किस्मत- सपना गोसाई
2004- असंभव- अलीशा
2004- मुझसे शादी करोगी- रानी सिंह
2004- ऐतराज- सोनिया राय
2005- ब्लैकमेल- मिसेज राठौड़
2005- करम- शालिनी
2005- वक्त- पूजा मिताली
2005- यकीन- सीमर ओबेराय
2005- बरसात- काजल कपूर
2005- ब्लफ मास्टर- सिमरन आहूजा
2006- आपकी खातिर- अनु आहूजा
2006- डॉन- रोमा
2007- सलाम-ए-इश्क- कामिनी
2007- बिग ब्रदर- आरती शर्मा
अन्य फिल्में- लव स्टोरी 2050, गॉड तुसी ग्रेट हो, गोल्डी बहल की द्रोण, मधुर भंडारकर की फैशन और साहब बीबी और गुलाम, दोस्ताना, बिल्लू, कमीने, वॉट्स योर राशि, अंजाना अंजानी, सात खून माफ, रा.वन, डॉन 2, अग्निपथ, तेरी मेरी कहानी, बर्फी।

Tuesday, 26 June 2012

गेंग आफ वासेपुर...एक लोमहर्षक फिल्म...







अनुराग कश्यप  ने  इस फिल्म में हर किरदार को उभरने का मौका दिय़ा है। न चाहते हुए भी हम  उनकी इस फिल्म को पसंद करते हैं। वैसे इस फिल्म में  हिंसा, अश्लीलता और बहुत सी गालियाँ हैं ।  फिर भी  उनका सिनेमा पसंद आता है।  अनुराग हमारे अंदर के  किरदार को परदे पर लाने में कामयाब रहे हैं । फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के एक सीन में नज़मा जब फरहान के सीने से लग कर रोती है और खुद को उसके बिस्तर पर बिछा देती है। तब शायद ये बात हज़म नहीं होती, क्योंकि हम भारतीय परिवेश में इसे जयय्ज नहीं मानते।  अनुराग आगे बताते है कि नज़मा एक सीमा  के बाद खुद को रोक लेती है और फरहान भी अपनी इच्छाओं को दबा लेता हैं। लेकिन क्या असल में ऐसा मुमकिन  है? क्या उनसे जो सेक्स भोग  कर सेक्स से दूर हैं उनके  जिस्म से कपडे उतरने के बाद बिना सेक्स मैं डूबे वापस कपडे पहा ले ?असल में  अनुराग ने अपनी फिल्म में नज़मा को इस  गुनाह से बचा लेते हैं। आखिर वो हैं तो भारतीय ही    

असल में  अनुराग ने तीन घंटे की एक दिलचस्प  फिल्म बनाई है। एक्शन. कॉमेडी, सेक्स और इमोशन्स... इस फिल्म में उन्होंने हर एक रंग उकेरा  है। लेकिन साथ ही साथ वो अपने धूसर रंग में डूबे, ठेठ बोली बोलते किरदारों को भी नहीं भूलते। आख़िर में 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' न केवल अनुराग के निर्देशन में बनी एक अनूठी फिल्म साबित होती हैं, बल्कि ये हिंदी सिनेमा की एक अलहदा रचना बनकर उभरती है। अनुराग निश्चित है बधाई के पात्र हैं।