Monday, 10 September 2012

रिंकल, सिंध और हिंद...



सिन्धी पत्रकार वेंगस यास्मीन और सिन्धी ब्लागर राकेश लखानी  को मेरा ये लेख समर्पित है जिन्होंने बड़े जुझारूपन से सिंध और उसके दर्द के बारे में सारी दुनिया को अवगत कराया.
रिंकल के साथ सिंध में जो कुछ भी हुआ वो अब किसी से भी छुपा नहीं है. उसके अपहरण, बलात्कार, जबरन धर्म्परिवार्त्न, और बलात विवाह ये सब अब दुनिया पर जग जाहिर है. मासूम रिंकल केसे पाकिस्तान की सबसे बड़ी अदालत में चीख-चीख के कहती रही की उसे अपनी माँ के पास जाना हे पर उसकी आवाज को अनसुना कर दिया गया. यूँ कहिये जबरन दबा दिया गया. मुझको रिंकल के भाई से बात करने का अवसर मिला उसने जो भी बताया उससे मुझ जेसे सख्त इन्सान की आँख में भी आंसू आ गाये.    
रिंकल के साथ हुए अन्याय के बाद एक डर सा जरुर बैठ गया होगा सिंध की अल्प्संख्य्ख जनता में जो वहां इस तरह का पलायन शुरू हुआ. आज जरुर सिंध भयभीत  हे. क्यों...
जवाब कोन देगा कौन संभालेगा वहां की आवाम को..शायद कोई नहीं....
फिर क्या भविष्य है सिंध का...
सच में जब भी सोचता हूँ अपने प्यारे सिंध के बारे में तो द्रवित हो उठता हु...वो सिंध जिसका इतिहास गौरोशाली रहा है...उसकी किस्मत में पलायन क्यों लिख दिया गया....
पर में आशावादी हु...और संघर्ष में विश्वास रखता हु...मेरा आप सबसे निवेदन है की सिंध को बचने के लिए संघर्ष करते रहिये... बिना निराश हुए...
हा इन सब बातो को सोचते हुए इसके हल के लिए हिंद को भी कुछ न कुछ तो करना ही होगा..

सुधीर मौर्या 'सुधीर'
  
    

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