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Saturday, 5 July 2014

तुम्हे लौटा लाएगा - सुधीर मौर्य

रूबरू दुनिया के जुलाई 2014 के अंक में अंतिम कवर पेज पर प्रकाशित मेरी नज़्म 'लौटा लाएगा तुम्हे' .

मैं जनता हूँ
तुम्हे लौटा लाएगा
एक दिन
मेरा प्रेम

तुम्हे लौटा लाएंगे
मेरे हाथ के
लिखे खत

तुम्हे लौटा लाएंगे
मेरी आँख से
झरते अश्रु

तुम्हे लौटा लाएंगी
हरसिंगार की कलियाँ
मेरे घर की
मेहंदी की महक

तुम्हे लौटा लायंगी
तुम्हारी गलियों में बहती हवा
मेरी अटारी से उड़ती पतंग 

तुम्हे लौटा लाएंगे
तुम्हारी आँखों में
बसते मेरे ख्वाब

तुम लौट आओगी
इसलिए नहीं कि
मै करता हूँ तुम्हे प्रेम

इसलिए
कि मैं प्रियतम हूँ तुम्हारा।


--सुधीर मौर्य

Saturday, 21 June 2014

बुंदेलखंड के गणपति है लाला हरदौल - सुधीर मौर्य

ओरछा के दीवान जुझार सिंह के छोटे भाई थे लाला हरदौल। सच कहूँ तो लाला हरदौल का नाम , किस्सा मैने बचपन 
में ही रंगमंच की एक विधा 'नौंटकी' से जान लिया था। जहाँ भक्त हरदौल का मंचन आम बात है। जनमानस 
पूरी रात टकटकी लगाये भक्त हरदौल में खोया रहता है। मैने भी कोई आधा दर्ज़न बार ये मंचन देखा होगा। 
बुंदेलखंड के हर गाँव - कसबे में उनके नाम पर चौतरा होता है। वही उनका पूजा स्थल होता है। लाला हरदौल को 
अपने अग्रज जुझार सिंह और भाभी पार्वती का अपार स्नेह प्राप्त था। पार्वती निसंतान थी और वह हरदौल से पुत्रवत 
स्नेह रखती थी। लाला हाइडॉल के कुछ विरोधियों ने जुझार सिंह के कान भरे, हरदौल और उनकी भाभी के बीच कु - 
सम्बन्ध है। लोगो के बार - बार उकसाने पर जुझार सिंह ने पार्वती को हरदौल को विषपान कराने की आज्ञा दे दी। 
अब रानी के लिए परीक्षा की घडी थी। एक ओर पति की आज्ञा और दूसरी ओर पुत्रवत हरदौल। अन्तता : रानी 
पार्वती ने पवित्र सम्बन्ध की रक्षा के लिए पति की आज्ञा अनुसार हरदौल को विषपान कराया। लाला हरदौल ने हँस 
कर अपने प्राणो का उत्सर्ग कर दिया। 
मृत्यु का आलिंगन करते ही लाला हरदौल अमर हो गए।
हरदौल की एक बहन थी, नाम कुंजावती। उसकी पुत्री का विवाह था। भाई के यहाँ 'भात' का निमंत्रण देने की प्रथा 
है। कुंजावती भाई के घर गई। जुझार सिंह बंधू हत्या के दोषी थे। इसलिए कुंजावती हरदौल की समाधि पर गई। मन ही 
मन भाई को आमंत्रित किया।
और फिर कुंजावती और सारे गाँव ने देखा कि लाला हरदौल की छाया विवाह की हर रस्म में उपस्थित रही। 
हरदौल खुद आये और भाई होने का कृतव्य पूरा किया। हर रस्म बिना किसी रूकावट के संपन्न हो गई।
तब से ये प्रथा चल पड़ी। किसी के भी घर में विवाह या अन्य कोई मंगल कार्य होता है तो घर की औरतें लाला 
हरदौल के चबूतरे पर जाती हैं और लोकगीत गा गा कर उन्हें आमंत्रित करती हैं। शुभ कार्य निर्विघ्न होने की प्रार्थना 
करती है।
तब से ये प्रथा चल पड़ी। किसी के भी घर में विवाह या अन्य कोई मंगल कार्य होता है तो घर की औरतें लाला 
हरदौल के चबूतरे पर जाती हैं और लोकगीत गा गा कर उन्हें आमंत्रित करती हैं। शुभ कार्य निर्विघ्न होने की प्रार्थना 
करती है। 
निर्विघ्नता, प्रेम और पवित्रता के लोकदेवता लाला हरदौल इस तरह सारे बुन्देलखण्ड में गणपति की तरह प्रथम पूज्य 
हो गए। लाला हरदौल की कथा का मंचन आज भी भक्त हरदौल के नाम से गाँव - गाँव में होता है। 


भोपाल से प्रकाशित होने वाली पत्रिका रूबरू दुनिया के जून २०१४ के अंक में प्रकशित।


सुधीर मौर्य 
गंज जलालाबाद, उन्नाव ( उ प्र )- 209869


Thursday, 30 January 2014

जब नारदजी सम्मानित हुए - सुधीर मौर्य

युग पे युग बदल गए पर अपने नारद भाई जस के तस। रत्ती - मासा भी बदलाव नहीं हाथ में तानपूरा होठों पे नारायन - नारायन और वही खबरनवीसी का काम। जाने कहाँ से टहलते- घूमते आपके चरन भारत मैया की धरती पर आ टिके। तनिक देर में ही नारायनी शक्ति के बल पर आपने खबरनवीसी के हायटेक टेक्नोलोजी की महत्ता समझ ली। इस टेक्नोलोजी की महत्ता से घबराकर बेचारे पतली गली ढूंढ ही रहे थे कि एक उपकरणों से लैस पत्रकार के हाथो धरे गये। देखते ही पत्रकार मुस्कराकर बोला क्या हल है तानपुरा मास्टर? बेचारे नारद जी पत्रकार की स्टाइल से सिटपिटा गए। सम्हल के बोले! अरे बोलने की गरिमा रखो। गरिमा को बांधो कंधे पे पड़े अंगोछे में मिस्टर जानते नहीं हमारे सर पे किसका हाथ है। अब तो नारद और सिटपिटाये, सोचा कहीं इसने भोले की भक्ति करके कोई वरदान - सरदान का मालिक न बन बैठा हो। डरते - सहमते पूछा किसका हाथ है आपके सर पे ? २मिमी के मूछ के बाल को सहलाते हुए बोला पत्रकार दिल्ली की नई नवेली सरकार का। दिल्ली का नाम सुनकर नारद जी की बची - खुची हवा भी निकल गई। भागने की जुगत में बोले अच्छा चलता हूँ। पर पत्रकार तो अपने नशे में था, इसी नशे में डोलता बोला अरे यहाँ आये हो तो कुछ मांग लो। बेचारे नारद जी पिंड छुड़ाने की गरज़ से बोले अब क्या मांगू साहब आप तो महाज्ञानी है जो उचित समझे दे दे। नारद की बात सुनकर वो तनिक सोचकर बोला! कुछ भी, तुमने खबरनवीसी का काम किया सो आप हमारी बिरादरी के ठहरे इसलिए हम आपको पत्रकारिता का आशुतोष सम्मान प्रदान करते है।                                                                                                                                                                           शाल , प्रशस्ति पत्र और नोटों का लिफाफा लेकर नारद जी अभी खिसके ही थे कि पीछे से फिर आवाज़ आई, अरे सुनते जाव| बेचारे नारद जी ठिठक के पलटे और मुह खोल के सवालिया अंदाज़ में खड़े हो गये। अरे भाई हम आपकी तरह और लोगो को सम्मानित करना चाहते हैं जिनकी अब तक किसी ने खबर नहीं ली। कौन है वो खुशनसीब नारद जी नोटों का लिफाफा कमर में खोंसते हुए बोले। अरे भई अपने हरिश्चंद्र महाराज को ईमानदारी का अरविन्द पुरस्कार, कालिदास को  विश्वास सम्मान और… पत्रकार और भी कई नाम गिना रहा था और अपने नारद मुनि सर पर पैर रखकर भाग रहे थे। 

सुधीर मौर्य

गंज जलालाबाद ,

उन्नाव (यू पी ) 209869


Monday, 13 January 2014

एक सशक्त केंद्रीय सत्ता मांगता है देश – सुधीर मौर्य


पिछली ८ दिसंबर को आये दिल्ली विधानसभा के नतीजो ने एक नई बहस को जन्म दे दिया। ऐसी बहस जिसमे आम आदमी पार्टी के सयोजक अरविन्द केजरीवाल एक नायक के रूप में उभरे, एक ऐसे नायक जो भ्रष्टाचार के खिलाफ दो – दो हाथ करने को तैयार हो। निश्चय ही अरविन्द केजरीवाल से अब देश की उम्मीदे जुड़ने है, ऐसी उम्मीदे जिसमे देश अपने को भ्रष्टाचार से मुक़्त करने कि सोच सके। देश को भ्रस्टाचार से मुक्त करने की रौशनी की किरण जो अरविन्द केजरीवाल ने जगाई है उसके हम दिल से आभारी हैं। भ्रष्टाचार आज की तारीख में देश के लिए सबसे बड़ा प्रश्न है पर एक यही प्रश्न तो नहीं है जो देश के सामने मुह बाये खड़ा हो।
भ्रष्टाचार के अलावा और भी कई प्रश्न है जिनके उत्तर देश मागता है, इन प्रश्नों में जो सबसे बड़ा प्रश्न है वो है की किस तरह से पडोसी दुश्मनो से देश की सरहदों, देश की ज़मीन की रक्षा की जाये।
आज हालत ये है की चीन का जब दिल चाहता है वो हमारी देश की सीमाओ में आके केम्प लगा देता है। उसकी जब मर्ज़ी है वो अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे भारतीयो राज्यो को अपना बताने है, अरुणाचल प्रदेश के लिए तो वो नत्थी वीजा जारी करता है।
सन उन्नीस सौ सैतालिस से ही हमारे कश्मीर का एक हिस्सा \’आज़ाद कश्मीर\’ के नाम पर पाकिस्तान के पास है। पाकिस्तान जब तब सीज फायर का उल्लघन करके एल ओ सी पर गोलाबारी करता रहता है। उसकी ढिठाई तो इतनी बढ़ गई है की वो हमारी सीमाओ के अंदर आकर हमारे सैनिको के सर काट ले जाता है। आज पूरी दुनिया जानती है भारत, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से पीड़ित है। हमारे देश में आतंक की घटनाओ को अंज़ाम देने वाले पाकिस्तान में हीरो कि तरह खुलेआम घूम रहें हैं।आज सिंध में रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओ की हालत जानवरो से भी बदतर है। वहाँ की हिन्दू लड़कियों की अस्मत बड़ी आसानी से उनके ही परिवार वालो के सामने लूट ली जाती है।
बांग्लादेश भी भारत के लिए एक बड़ी समस्या बनके उभरा है। भारत में आतंकवाद के धंधे को चलने के लिए आतंकवादी संगठनो ने अब बांग्लादेश की ज़मीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना चालु कर दिया है। आज भारत में बांग्लादेशी घुसपैठिये टिड्डी दल कि तरह घुसते चले आ रहे है। बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन वहाँ रह रहे हिन्दुओ का ज़बरन धर्म परिवर्तन कर रहें है।वहाँ हिन्दू लड़कियों का निर्ममता से बलात्कार किया जाता है। और अब यही शर्मनाक घटनाये बांग्लादेश से आये घुसपैठिये बांग्लादेश की सीमाओ से लगे भारत के राज्यो में अंज़ाम दे रहें हैं।
इतिहास गवाह है जब – जब देश में केंद्रीय सत्ता कमज़ोर हुई है तब – तब हमारे ऊपर हमला करने वाले कामयाब हुए हैं। इतिहास में झांके तो तैमूर ने भारत में तब लूटपाट की जब निकम्मा तुग़लक़ सुलतान नसरिउदीन दिल्ली की सत्ता संभाल रहा था। बाबर ने भी पानीपत की पहली लड़ाई में कमज़ोर लोदी सुल्तान इब्राहीम को हराकर भारत में लूटपाट की थी। नादिरशाह भारत को सिर्फ इसलिए लूट सका क्योंकि मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह एक निर्बल बादशाह था। ठीक इसी तरह अब्दाली भी इसलिए कामयाब हुआ क्योंकि कायर अहमदशाह उस वक़्त भारत का बादशाह था।
इसके उलट सिकंदर, सेलूकस को भारत में इसलिए सफलता नहीं मिली क्योंकि चन्द्रगुप्त मौर्य ने मगध में सशक्त सत्ता का निर्माण किया था। चीन के शक्तशाली राज्य को धूल में मिला देने वाले भारत में इसलिए धूल में मिला दिया गए क्योंकि स्कंदगुप्त के रूप में सशक्त शासक भारत के केंद्र में मौजूद था। मंगोलो को भारत में लूटपाट करने से रोक सकने में अलउद्दीन खिलज़ी सफलता पाई थी।सशक्त मुग़ल बादशाह अकबर से लेकर औरंगज़ेब तक कोई भी विदेशी ताकत हमें लूट पाने में कामयाब नहीं हो पाई। आधुनिक भारत में भी जब – जब इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपई सशक्त सरकारे केंद्र में रही, हर बार दुश्मनो धूल चाटनी पड़ी।
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आज हमारे देश एक ऐसी सशक्त सरकार की जरुरत है जो विश्व में भारत को एक शक्तशाली देश के रूप स्थापित कर सके। जो भारत में हो रही आतंकवादी घटनाओ को रोक सके, जो देश के वीर सैनिको की शहादत को सम्मान दिल सके, उनकी हत्या का प्रतिशोध ले सके। जो अंतराष्ट्रीय स्तर पर देश के रुतबे को कायम कर सके। जो हमारी ज़मीन चीन से वापस ला सके। जो पाकिस्तान में घूम रहे देश के गुनहगारो को सजा दिल सके। कौन दिला सकता है भारत को सम्मान एक सशक्त सरकार के रूप में ? एक प्रश्न ये भी है। यकीनन आज की राजनीत में सिर्फ नरेंद्र मोदी ही एक ऐसा नाम है जो भारत को आतंकवाद से सुरक्षित रख पाने में सक्षम है। नरेंद्र मोदी ही है जो बेलगाम होते चीन की लगाम कस सकते हैं। नरेंद्र मोदी ही हैं जो पाकिस्तान के नापाक इरादो को धूल में मिला सकते है। यकीनन आज देश में महगाई और भ्रष्टाचार भी बहुत बड़े मुद्दे हैं पर हमें नरेंद्र मोदी की योगयता पर पूरा विश्वास है की वो सीमाओ के बाहर और सीमाओ के अंदर के सारे मुद्दे सफलता पूर्वक हल कर सकते है और एक सशक्त और विकसित भारत का निर्माण कर सकते है।
अरविन्द केजरीवाल यकीनन एक ईमानदार व्यक्ति हैं और उनमे दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने की योगयता है, पर इस वक़्त देश के प्रधानमंत्री बनने के योग्य इस वक़्त अगर कोई है तो वो नरेंद्र मोदी है। आज हमारे पास नरेंद्र मोदी और अरविन्द केजरीवाल जैसे योग्य व्यक्ति हैं निश्चय ही अब हमारे देश का भविष्य उज्जवल है। मै उम्मीद करता हूँ कि २०१४ में देश की जनता नरेंद्र मोदी के रूप में भारत को एक सशक्त प्रधानमंत्री देगी और नरेंद्र मोदी एक खुशहाल भारत का निर्माण करेंगे।
सुधीर मौर्य
गंज जलालाबाद
जनपद – उन्नाव, २०९८६९ 
Roobru Duniya ke January 2014 ke ank me Prkashit