Tuesday 29 January 2013

कौन कहता है ये इक्कीसवी सदी है..


Sudheer Maurya 'Sudheer'
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आज कल बलात्कारियो को क्या सजा मिलनी चाहिए, ये चर्चा बड़े जोरो पर है। जहाँ तक में मानता हूँ ये चर्चा का विषय होना ही नहीं चाहिए, बलात्कारी को हर हाल में अधिकतम सजा मिलनी ही चाहिए।
बलात्कारी, नाबालिग हो सकता है में इस बिंदु को सिरे से ही खारिज करता हु। कोई भी व्यक्ति जब वो किसी से जबरन सेक्स करता है तो ये क्रिया उसकी पूर्ण वयस्कता को दर्शाती है।     
अगर बलात्कारी को नाबालिग समझ कर सजा में रियायत दी जाती है, तो क्या ये इस बात का सूचक नहीं है की जिन नाबालिग लडकियों के साथ बलात्कार हुआ, उनके बलात्कारी और भी अधिक सज़ा के हक़दार हे।
पकिस्तान में 6 साल की लड़की वैजन्ती के साथ हुए बलात्कार को हम किस श्रेणी मे रखेंगे। उसके अपराधियों को अधिकतम सज़ा क्या नहीं मिलनी चाहिए। बलात्कार तो बलात्कार है वो किसी के भी साथ हुआ हो, पर एक 6 साल की बच्ची के साथ हुए बलात्कार को हैवानियत ही  माना जायेगा।
अगर कानून, नाबालिग बलात्कारी की सजा में रियायत बख्शता है, तो क्या उस कानून को नाबालिग के साथ हुए बलात्कार करने वाले को तुरंत 
ज्यादा से ज्यादा सज़ा नहीं देनी चाहिए।
रिंकल कुमारी और वेयाजंती के उदहारण हमारे सामने है इन नाबालिग लड़कियों के बलात्कारी खुला घूम रहे हैं किसी और को अपना शिकार बनाने के लिए। हम चुप है, सरकार और कानून चुप हे, अंतररास्ट्रीय मानवाधिकार चुप है, ये बहुत है बलात्कारियों का हौसला बढाने के लिए। सच तो ये है इन शर्मनाक घटनाओं को   रोकने के लिए विश्व्यापी पहल की जरुरत है।
आओ हम सब मिलकर लड़कियों पर हो रहे सेक्स आत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाये। नहीं तो न जाने कितनी रिंकल, दामनी और वेय्जंती सिसकती रहेगी और इनके अपराधी खुला घूमते रहेगे। किसी और पर अत्याचार करने के लिए।

सुधीर मौर्य 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव 
भारत 
209869             

         

Friday 25 January 2013

समाज और स्त्रियों का जबरन अपहरण..


Sudheer Maurya 'Sudheer'
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संसार का निर्माण होते ही शायद स्त्रियों को पुरषों का गुलाम समझा जाने लगा।एक ही स्थान से, एक ही प्रक्रिया से पैदा होने के बावजूद उन्हें कभी भी पुरषों के समकक्ष स्थान  प्राप्त न हो सका।    

भारतीय संस्क्रीत में स्त्रियों को माँ , बहन और बेटी के रूप में पूजनीय माना गया है। पर  पत्नी के रूप उसे कभी भी पुरषों ने अपने बराबर नही स्वीकारा। पुरषों में बहुपत्नी रखने का चलन रहा और उनकी कई पत्निया के साथ - साथ कई - कई रखेले भी होती थी। सामन्ती पुरष पराई स्त्रियों का हरण करके उनका बलात्कार करते और फिर उन्हें अपने रनिवास योनि सुख की प्राप्ति के लिए रख लेते। भारत में मुस्लिम आकर्मण के साथ ही स्त्रियों और लडकियों के अपहरण और उन्हें रखेल बनाने के आंकड़े में बहुत तेजी से इजाफा हुआ।

स्त्र्यियो को पुब्लिक प्लेस पर भी काफी समय पहले से अपमानित किया जाता रहा है। द्रौपदी इसका ज्वलंत उदहारण है। ये बात अलग है वो अपने एक मित्र कृष्ण की मदद से बच  गई। वरना पुब्लिक प्लेस पर अपने परिवार के तमाम लोगो की मौजूदगी में ही उसका सामूहिक बलात्कार होना तय था। हा ये बात अलग है की बाद में द्रौपदी के परिवार वालो ने उसके अपमान का बदला कुरुक्षेत्र की ज़मीन को लाल करके लिया।

लगभग द्रौपदी के काल में ही, उससे कुछ वर्ष पहले ही अम्बा नाम की एक राजकुमारी का भी अपहरण करके उसे अपमानित किया गया। उसका बलात्कार तो नहीं हुआ पर जबरन अपहरण की पीड़ा वो सारी उम्र झेलती रही। इस जबरन अपहरण की वजह से उसका पुरुष मित्र उसे छोर कर चला गया।    

इन सब घटनाओं से पहले सीता के अपहरण की घटना तो सबको ज्ञात ही है। उन्हें भी इस जबरन अपहरण का दंश सारी उम्र झेलना पडा और वो कभी भी सुखी जीवन न जी सकी।

जेसा की ऊपर मेने लिखा की भारत में मुस्लिम आकर्मण के साथ ही लडकियों के अपहरण में बड़ी तेजी आई। मुस्लिम लोगो को दुसरे की स्त्रियों और क्वारी लडकियों को अपनी पत्नी या रखेल बनाने में एक विशेष सुख हासिल होता था। अल्लुद्दीन ने गुजरात की रानी कमला देवी और वह की राजकुमारी देवल देवी को जबरन अपने हरम में रखा। और उन्हें योनि दासी के रूप में भोगा। ये बात अलग है की राजकुमारी देवल देवी ने कुछ समय बाद ही अपने इस अपमान का बदला अल्लुद्दीन के सरे परिवार को ख़त्म करके ले लिया। चित्तोड़ की रानी पद्मनी को अलाउद्दीन के हाथो अपहरण होने से बचने के लिए आत्महत्या करनी पड़ी।

 अकबर ने अपने और अपने शहजादों के लिए हिन्दू पत्निया संधि में प्राप्त की पर कभी भी अपने घर की किसी लड़की की शादी उसने किसी हिन्दू राजकुमार से नहीं की। ये बात अलग है की कुछ समय बाद इस मुगुल खानदान की शहजादियो की अस्मत, अफगान आक्र्मंकारियो और अंग्रेजो ने तार - तार कर दी। 

आज हम कहने को सभ्य समाज में जी रहे है पर पिछले साल पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में हुए एक हिन्दू लड़की रिंकल कुमारी के जबरन अपहरण ने हमे हिला के रख  दिया। रिंकल चीख -  चीख के अपने माँ - बाप के सतह जाने की गुहार लगाती रही पर उसकी आवाज़ को जबरन दबा दिया गया। वो आज भी एक योनि दासी का दंस झेल रही है। और न्याय की प्रतीक्षा कर रही है। पर क्या पुरुष प्रधान संसार में ये मुमकिन है। और फिर उस जगह जहाँ शिक्षा के लिए आवाज़  उठाने के लिए मलाला युसुफजई को सरफिरे गोली मार देते है।

लडकियों के जबरन अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन, जबरन विवाह और भोग की वस्तु से बचाने के लिए एक विश्व्यापी सार्थक पहल की जरुरत है। ये पहल कोन  करेगा ? शायद हम लोग। पर जल्दी। कही बहुत देर न हो जाये।

सुधीर 'मौर्य सुधीर'
गंज जलालाबाद उन्नाव 
209869         

   


Tuesday 22 January 2013

पाकिस्तान में रुक नहीं रहा है हिन्दू लडकियों का अपहरण और जबरन धर्मपरिवर्तन



Sudheer Maurya 'Sudheer' 

इस्लामाबाद में एक हिंदू युवती के जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में यहां एक मुस्लिम लड़के को गिरफ्तार किया गया है। लड़के ने दावा किया था कि लड़की ने इस्लाम धर्म कबूल कर उससे निकाह किया था, जबकि लड़की ने इन दावों को खारिज कर दिया।
लड़की ने सरवर सोलंगी पर उसे अगवा करने और महीनों तक बलात्कार करने का आरोप लगाया है। सिंध हाई कोर्ट के हैदराबाद सर्किट ने सोमवार को सरवर को पुलिस रिमांड में भेज दिया। जज मुनीब अख्तर ने यह फैसला सोलंगी की उस याचिका पर सुनवाई के बाद दिया जिसमें उसने दावा किया था कि इस्लाम धर्म कबूल करने से पहले वह भी हिंदू था। सोलंगी के वकील गुलाम हैदर शाह ने कहा कि तंदोजाम की 19 वर्षीय इस लड़की ने गत 20 मई को इस्लाम धर्म कबूल किया था और इस संबंध में सुबूत के तौर पर एक फर्जी प्रमाण पत्र भी जारी किया गया था।
सोमवार को सुनवाई के दौरान लड़की ने अदालत को बताया कि गत 18 मई को वह कपड़े धोने के लिए घर से निकली थी, जब सोलंगी और दो अन्य लोगों ने उसका अपहरण कर लिया। वे उसे कराची ले गए थे। मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 'हिन्दू लड़की को एक कमरे में बंद कर दिया गया और सोलंगी ने उसके साथ बलात्कार किया। लड़की 30 जून को वहां से भाग निकली जब सोलंगी शराब लेने बाजार गया था।'

'दैनिक जागरण की एक खबर से'

सुधीर मौर्य 'सुधीर 
गंज जलालाबाद उन्नाव 
209869


Saturday 19 January 2013

हाँ सुधीर ने तराशा है चित्रांगदा सिंह को..


इंकार फिल्म के निर्देशक सुधीर मिश्रा का कहना है कि वो जब भी अपनी फिल्म के किरदार के बारे में सोचते हैं तो उनके दिमाग में सिर्फ एक ही नाम और चेहरा आता है और वो नाम और चेहरा है बॉलीवुड की खूबसूरत एक्ट्रेस चित्रांगदा सिंह का। सुधीर का कहना है कि चित्रांगदा सिंह को सोचकर ही वो अपनी फिल्मों का कोई भी किरदार लिखते हैं। असल में सुधीर ने ऐसा तब कहा जब मीडिया ने उनसे पूछा कि वो चित्रांगदा सिंह को ही अपनी फिल्मों में मुख्य किरदार लेते हैं। ज्ञात हो कि चित्रांगदा सिंह को बॉलीवुड में लाने वाले भी सुधीर मिश्रा ही थे। सुधीर मिश्रा की फिल्म हजारों ख्वाहिशें ऐसी से ही चित्रांगदा सिंह ने बॉलीवुड में कदम रखा था और इसके बाद सुधीर की ही फिल्म ये साली जिंदगी से चित्रांगदा ने अपनी वापसी की थी। चित्रांगदा सिंह हज़रों ख्वाहिशें ऐसी फिल्म के बाद बॉलीवुड से कुछ लापता सी हो गयी थीं उन्हें अच्छे किरदार भी नहीं मिल रहे थे और वो सेकेंड लीड रोल करने के लिए बाध्य हो रही थीं। फिल्म जोकर में चित्रांगदा सिंह ने एक आइटम सॉंग किया था जो कि काफी फेमस हुआ था। इस आइटम सॉंग के बाद चित्रागंदा सिंह का बयान आया कि उन्हें इस गाने को करने पर अफसोस हो रहा है। हालांकि चित्रांगदा सिंह का मानना है कि वो बोल्ड नहीं हैं उनसे कई ज्यादा बोल्ड एक्ट्रेसेस फिल्मों में हैं। चित्रांगदा सिंह के टैलेंट पर किसी को कोई शक नहीं है लेकिन लगता है कि निर्देशक सुधीर मिश्रा को इस हॉट और बोल्ड एक्ट्रेस में कुछ ज्यादा ही टैलेंट नज़र आने लगा है? इनकार फिल्म में चित्रांगदा सिंह कुछ बोल्ड सीन दिए हैं पर  आजकल इस तरह के सीन हर फिल्म में आम बात हो गए हैं। इनकार में चित्रांगदा ने कुशल और मझी हुई अभिनेत्री का पूरा परिचय दिया है। निश्चय ही ये फिल्म चित्रांगदा के करियर में निखार लेके आयगी   

Sunday 13 January 2013

Rinkle: The Statue of Pain



Sudheer Maurya 
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कल फेसबुक पर मेरे एक दोस्त ने पूछा रिंकल का क्या हुआ, में क्या जवाब देता। शायद मेरे पास कोई जवाब था ही नहीं, सच पूछो तो पिछले दो महीनो से किसी को भी नहीं मालूम रिंकल के साथ क्या हुआ। दिवाली के अगले दिन रिंकल ने अपनी माँ को फोन पर  अपनी दुर्दशा के बारे में बताया था, उसने रो - रो के कहा था वो अब और सहन नहीं कर सकती। रिंकल ने कहा अब तक उसका तीन बार गर्भपात कराया जा चूका है।  सच केसी है ये विडंबना एक हँसती - खेलती मासूम सी लड़की पिछले आठ महीनो से लगातार बलात्कार का दंश झेल रही है और तथाकथित सभ्य समाज के रहनुमा कानो में तेल डाळ के बेठें है।

कैसे एक माँ  ने सुना होगा की उसकी मासूम लड़की जिसका बचपन अभी तक गुजरा न था वो लगातार बलात्कार और इस के फलस्वरूप हर 2 -3 महीने बाद गर्भपात के दौर से गुज़र  रही है, क्या गुजरी होगी एक माँ के  दिल पे अपनी बच्ची का ये हाल उसकी ही जुबानी सुन के।यकीन उस माँ का कलेजा फट गया होगा। 

हम बताते चले की पिछले साल फ़रवरी में रिंकल का उसके घर से आपहरण हो गया था और उस बेचारी का जबरन एक ठग के साथ निकाह कर दिया गया था।  तब से लेकर आज तक वो उस ठग और उसके सहयोगियों की वासना पूर्ति का साधन बनी हुई है। 

एक तरफ हम सभ्य होने का दम भर रहे है दूसरी तरफ एक मासूम लड़की को ठगों के चंगुल से आज़ाद नहीं करा पा रहे। जबकि भारत और अमेरिका जेसे प्रजातंत्र देशो के मुखियाओ के संतान के रूप में सिर्फ लड़कियां है फिर भी ये एक गरीब मासूम लड़की का दर्द समाज पाने में असमर्थ हैं।  

रिंकल के दर्द को समाज पाना अब इतना आसान भी नहीं है वो दर्द की मूर्ति बन चुकी है। मीरपुर मेठेलो की वो हवेली जिसमे उसे जबरन (पकिस्तान सरकार की मर्ज़ी से) से कैद करके रखा गया है उस हवेली की फसील से लेके एक - एक कोना उस मासूम पर हो रहे जुल्म का गवाह है। 

में इल्तिजा करता हूँ देश के रहनुमाओ( भारत, पाकिस्तान,united nation के ) से वो एकबार इस लड़की से मिले इसके दर्द को समझे और अगर उन्हें लगे ये भी उनकी बच्ची की तरह है तो कृपया इसे जुल्म की भट्टी से आज़ाद कराये और न्याय की देवी को कलंकित होने से बचा ले। 

सुधीर मौर्य 'सुधीर'
गंज जलालाबाद , उन्नाव 
209869         

      

 

Saturday 12 January 2013

सजा दो मेरा आँगन सनम..



Sudheer Maurya 'Sudheer'
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आओ आँखों से अपनी दिखा दू तुझे 

प्रेम का हर सलीका सिखा  दूँ तुझे    
मेरे मन में है क्या ये बता दूँ तुझे 

तेरी हर एक अदा ने दीवाना किया 
पतझड़ों का भी मौसम सुहाना किया 
मेरी किस्मत जो दिलमे ठिकाना किया 

ये दमकता हुआ तेरा यौवन सनम 
ये महकता हुआ तेरा दामन सनम 
इस से सजा दो मेरा आँगन सनम  

'हो न हो' से।।
सुधीर मौर्य 'सुधीर'  

Sunday 6 January 2013

अधूरे पंख - सुधीर मौर्य का कहानी संग्रह

Sudheer Maurya 'Sudheer'





मेरी १३ कहानियो का संग्रह..

सुधीर मौर्य 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
२०९८६९


हिन्दू सामग्री देवल देवी...



Sudheer Maurya 'Sudheer'
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सल्तनत काल के भारतीय इतिहास में ऐसे अनेक ऐतिहासिक तथा महत्वपूर्ण प्रसंग हैं जिनमे मुस्लिम शासकों के दरबारीचाटुकार एवं कट्टरपंथी तथाकथित इतिहासकारों ने अपने शासकों के क्रूर कारनामों तथा पराजित हुए युद्धों को छिपाने के लिए उन्हें इतिहास के पन्नों से गायब कर दिया। ऐसा ही एक शौर्यपूर्ण प्रसंग है गुजरात की राजकुमारी देवल देवी तथा धर्म परवर्तित  होकर मुस्लिम बने खुशरो शाह का।
13वीं शताब्दी के अंतिम दशक से पहले दक्षिण भारत मुसलमानों के क्रूर तथा वीभत्स अत्याचारों तथा सामूहिक इस्लामीकरण से अनजान था। अलाउद्दीन खिलजी पहला मुस्लिम शासक था जिसने दक्षिण भारत में हमला करके भीषण नरसंहार किया और अपार धनराशि लूटी। उसने देवगिरिवारंगलद्वारसमुद्र तथा मदुरै से अपार धनराशि ही नहीं लूटी बल्कि भारतीय धर्मसंस्कृतिकला को भी नष्ट किया। उसने गुजरात को भी दो बार लूटा। इतना ही नहीं तो गुजरात के शासक बघेल नरेश कर्णदेव की पत्नी कमला देवी को अपनी पत्नी तथा अत्यंत रूपवती राजकुमारी देवल देवी को जबरदस्ती अपने बड़े बेटे खिज्र खां की पत्नी बना दिया। कई मुस्लिम लेखकों ने(खासकर अमीर खुसरो ) यह मनगढ़न्त कहानी रची कि खिज्र खां तथा देवल देवी में प्रेम संबंध था। सचाई यह है कि देवल देवी बरदस्ती विवाह तथा इस्लाम अपनाने पर अपमान का घूंट पीकर भी अपने धर्मसंस्कृति तथा देश की स्वतंत्रता को  भूली तथा उचित मौके की तलाश में रहने लगी। अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के कुछ ही दिनों बाद उसके दूसरे पुत्र मुबारक शाह ने अपने बड़े भाई खिज्र खां की आंखें निकलवा कर मार डाला तथा देवल देवी से जबरदस्ती अपना निकाह कर लिया। देवल देवी को  पहले खिज्र खां से कोई लगाव था और  अब मुबारक शाह से।
इस अफरातफरी के माहौल  में दिल्ली सल्तनत में एक व्यक्तिखुशरो शाह अत्यन्त प्रभावशाली बन गया था। सामान्यतमुस्लिम इतिहासकारों ने या तो उसका वर्णन नहीं किया और यदि किया तो उसे ओछापापीनरकगामी कहा। जबकि खुशरो शाह एक सुन्दरदृढ़ निश्चयी और बलिष्ठ और वीर युवक था। वह मूलतएक गुजराती हिन्दू था जिसे पकड़कर दिल्ली लाया गया तथा जबरदस्ती मुसलमान बनाया गया था। उसका नाम "हसनरख दिया गया था। हिन्दुत्व के दृढ़ भाव को मन में रखते हुए वह योजनापूर्वक मुबारक शाह का सबसे विश्वासपात्र तथा प्रभावशाली सेनापति बन गया। मुबारक शाह ने उसे "खुशरो शाहकी उपाधि दी तथा अपना मुख्या सेनापति नियुक्त किया। खुशरो शाह मन ही मन एक स्वतंत्र हिन्दू राज्य का स्वप्न देख रहा था। उसने गुजरात के शासन पर अपने एक सगे भाई "हिमासुद्दीन" (जो पहले हिन्दू ही थाको मुख्य अधिकारी बनवाया। उसने दिल्ली में लगभग 20,000 ऐसे सैनिक भरती किये जो पहले हिन्दू थे पर जबरन धर्मपरिवर्तन के बाद अब मुसलमान बन गए थे। उसने विलासी मुबारक शाह का पूर्ण विश्वास प्राप्त किया। उसने एक बार मुबारक शाह को पुनदक्षिण पर आक्रमण के लिए प्रोत्साहित किया तथा स्वयं भी उसके साथ गया। अगली बार वह मुबारक शाह की आज्ञा से स्वतंत्र रूप से गया। उसने दक्षिण भारत में मुसलमानों द्वारा भयंकर लूटमार तथा मारकाट से चारों ओर सामन्तोंराजाओं तथा प्रजा में बेचैनी का अनुभव किया। गुप्त मन्त्रणाओं में उसने इसको प्रोत्साहित किया। उनमें हिन्दुओं में राज परिवर्तन का भाव भी जगाया। साथ ही बाहरी रूप से उसने मुस्लिम विश्वास को भी बनाये रखा। यद्यपि दिल्ली दरबार में उसके क्रियाकलापों से बेचैनी होने लगी तथा उसकी शिकायतें मुबारक शाह से की जाने लगीं। परन्तु मुबारक शाह ने शिकायतों पर किचिंत भी विश्वास  किया। वस्तुतखुशरो शाह तथा देवल देवी के संयुक्त प्रयासतलवार की धार और जलती आग पर चलने जैसे थे। परन्तु दोनों ने बड़ी चतुराई, कूटनीति और समझदारी से काम लिया
पूरी तरह अनुकूल परिस्थिति होने पर खुशरो शाह तथा देवल देवी दोनों जन्मजात हिन्दुओं ने एक क्रांति को जन्म दिया जो राज्य क्रांति भी थी तथा धर्म क्रांति भी। 20 अप्रैल, 1320 की रात्रि को लगभग 300 हिन्दुओं के साथ खुशरो शाह ने शाही हरम में यह कहकर प्रवेश किया कि इन्हें मुसलमान बनाना है तथा इसके लिए परम्परा के अनुसार सुल्तान के सम्मुख पेश किया जाना है। इस पेशी के समय खुशरो के मामा खडोल तथा भरिया नामक व्यक्ति ने इसका लाभ उठाकर मुबारक शाह की हत्या कर दी। फिर शाही परिवार के भी व्यक्तियों को मार दिया गया। खुशरो शाह ने अपने को सुल्तान घोषित कर दिया और जानबूझकर अपना नाम नहीं बदला। इसके साथ ही उसने देवल देवी से विवाह कर लिया। तत्कालीन मुस्लिम लेखक जियाउद्दीन बरनी ने लिखा कि इसके पांच-छह दिन बाद ही राजमहल में मूर्ति पूजा प्रारंभ हो गई। चारों ओर हिन्दुओं में उत्साह और उल्लास की लहर दौड़ गई।
स्वयं खुशरो शाह ने घोषणा की- "आज तक मुझे केवल बलात मुसलमानों का सा धर्म भ्रष्ट जीवन जीने के लिए बाध्य होना पड़ा। फिर भी मूलतमैं हिन्दू का पुत्र हूंमेरा बीज हिन्दू बीज और मेरा रक्त हिन्दू रक्त है। चूंकि आज मुझे सुल्तान का समर्थन और स्वतंत्र जीवन प्राप्त हैइसलिए मैं अपने पैरों की धर्म भ्रष्टता की बेड़ी तोड़ता हुआ घोषित करता हूं कि मैं हिन्दू हूं। अब प्रकट में इस विशाल एवं अखण्ड भरत खण्ड में हिन्दू सम्राट के नाते इस सिंहासन पर आरूढ़ हुआ हूं। इसी तरह कल तक "सुल्तानाकहलाने वाली देवल देवी जो मूलतएक हिन्दू राज कन्या है... वह भी इस्लामियत को धिक्कारती हैअब से हिन्दू की तरह ही जीवन बितायेगी। हम दोनों की यह प्रतिज्ञा हमारे बलात्कार जनित अतीत धर्म विमुखता के पाप का परिमार्जन करे।"
यद्यपि यह हिन्दू साम्राज्य लगभग एक वर्ष ही रहाक्योंकि ग्यासुद्दीन तुगलक तथा अन्य अमीरों के विद्रोह से खुशरो खान मारा गयापरन्तु इससे इसका महत्व कम नहीं हो जाता। वस्तुतइस राज्य क्रांति का विचार भी दक्षिण भारत में हुआ था। इससे हिन्दुओं मेंजो वर्षों से गुलामी के आदी हो गये थेस्वतंत्रता की आशा तथा स्वाभिमान जागाजो शीघ्र ही सोलह वर्ष पश्चात (1336 मेंविजय नगर साम्राज्य के निर्माण के रूप में हुआ। 

सुधीर मौर्य 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
२०९८६९