Thursday 29 March 2012

शाम-ऐ- तन्हाई में ......



शाम-ऐ-तन्हाई में हमको तुम्हारी याद आती हे
तेरे प्यार की बाते हमे अब तक रुलाती हे


तुन गई तो जीस्त के सब लुत्फ़ चले गए
ख़ाक मेरे बदन की अब हवा उडाती हे


कोई तो देखे मंज़र आँखों से अपनी एसा
तेरे बाद अब मुझको तेरी तस्वीर रुलाती हे


बतायं किस कदर यारो सदमे हम कीने के
उस फरेबिंद की हिकायत फ़ज़ा सुनाती हे





'आह से
सुधीर मौर्या 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
२०९८६९
०९६९९७८७६३४


Saturday 24 March 2012

उसर में कास फूल रही थी (१)

सपना था
उस की आँखों में
पढने का, लिकने का
आसमान में उड़ने का

चाँद सितारे पाने का
धनक धनक हो जाने का

वो थी सुन्दर
वो थी दलित
उसका यही अभिशाप था
वो थी मेधावी 
बचपन से
पर उसका गरीब बाप था.

आते ही किशोर अवस्था के
उसे गिद्ध निगाहें 
ताकने लगी
गाहे बगाहे दबंगों  की 
छिटाकशी वो सुनने लगी

एक रोज़ गावं के उसर में
कुछ हाथो ने
उसको खीच लिया
कपडे करके सब तार तार
जबरन सीने में भीच लिया

वो बेबस चिड़िया 
फरफराती  हुई
दबंगों के हाथो में झूल रही थी
उस घडी गावं के
उसर में,
 कास फूल रही थी 


सुधीर मौर्या 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
पिन- 209869
०९६९९७८७६३४/09619483963

Friday 23 March 2012

पशेमान खडा था कातिल मेरा




सो जगह से चाक ये दिल मेरा

हो गया जिस्म जल थल मेरा



हम उसके शहर को छोड़ चले

लैला मेरी न महमिल मेरा



जब उठा जनाजा कंधों पर

पशेमान खडा था कातिल मेरा



क्या बंधू सफिने में बादबान

रूठा मुझ से साहिल मेरा



वो हाथ हिहाई वो पैरहन सुर्ख

कुछ एसा सजा था मकतल मेरा


From- 'Lams'

Sudheer Maurya 'sudheer'
VPO- Ganj Jalalabad, Unnao
Pin-209869
09699787634

Monday 12 March 2012

तेरा अक्स

तनहइयो ने कब
मेरे हाथ में
जाम दे दिया
कुछ इसका पता नहीं
हर शाम-हर रात
हर सुबह 
बस में और
मेरा जाम
मुझे लगा
अब जिन्दगी
चैन से कट जायगी
ग़लतफ़हमी थी मेरी
अब तो हाथ में
जाम लेने से भी
डर लगता हे

न जाने क्यों
तेरा अक्स
मुझे अब
उसमे नज़र आता हे.

'लम्स' से
सुधीर मौर्या 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
२०९८६९
09699787634 
  

Sunday 4 March 2012

LAGHUKATHA



हड़ताल का अर्थ 

मालिक के केबिन से निकलकर नंदन जब बाहर निकला तो उसकी छाती घमंड से चोडी थी.

आज कंपनी के मालिक ने उसकी चिरौरी की थी हड़ताल ख़त्म करने के लिए पर वो तस से मास नहीं हुआ था. उसे डबल बोनस है हाल में चाहिए था, अगर नहीं तो हड़ताल जारी.

केबिन  से बाहर निकलते ही उसके पास श्याम भागते हुए था, लगभग गिडगिडाते हुए बोला था. नंदन बाबू कुछ बीच का रास्ता निकल के हड़ताल बंद कर दो घर पर बच्चे भूख से बिलबिला रहे हे.

नंदन हेकड़ी से बोलते हुए - कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता हे, वहां से निकल गया था.

घर पर उसकी बीवी इन्तजार कर रही थी, बेटे को ज्वर १०२ दिघरी पहुच गया हे. नंदन के आते ही उसे बताती हे.

नंदन आनन् फानन उसे ऑटो में लेकर हस्पताल भागता हे.

रिस्प्सन काउंटर पर नर्स बोलती हे बच्चा एडमिट नहीं हो सकता .

नंदन पूछता हे क्यों .

नर्स बोलती हे हास्पिटल में हड़ताल हे, कोई डाक्टर नहीं हे.

नंदन को हड़ताल का अर्थ समझ में आने लगता हे.     

सुधीर मौर्या 'सुधीर'
गंज jalalabad , unnao
२४१५०२
०९६९९७८७६३४