Saturday, 11 February 2012

प्रेम की नाव

उसकी बातो में
लगने लगा हे
बहुत कुछ
बनाव इन दिनों.

किसी और की
गली से
गुजरने लगे हे
उसके पावं इन दिनों.

मागने लगा हे
कोई और
उसके जुल्फों की
छाव इन दिनों.

हाँ चर्चे हे
उसके एक और
अफएर   के
गाँव में
इन दिनों.

हो न हो
वो सवार हे
प्रेम की
दो नाव में इन दिनों.

सुधीर मौर्या 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
209869
०९६९९७८७६३४/09619483963

Wednesday, 8 February 2012

Unki kitaab me

फूल पाने की कोशिश में कांटे चुभे देखे
तेरे इश्क में हमने महीनो रतजगे देखे

ये केसा प्यार था तेरा, ये केसी दोस्ती तेरी
हजारो ज़ख़्म मैंने अपने दिल पर लगे देखे

उस दिन से मेरी दुनिया वीरान हो गई
जिस दिन तेरे दस्त हिना से सजे देखे

अँधेरे दूर करने की ये कोशिश नाकाम हो गई
रोशन चिराग करते ही हवाऔ से बुझे देखे

फ़साना दुश्मनों का मेरे केसे मुक़म्मल हो पाता
अपनी आस्तीनों में मैंने अपने सगे देखे

उस दिन से हिरासा हु जिस दिन से 'सुधीर'
उनकी किताब में ख़त रखे गैर के देखे

सुधीर मौर्या 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव-२४१५०२
०९६९९७८७६३४

Saturday, 4 February 2012

Aankh ki nadiya sukh gai he

सुन्दर गोरी और
जवान
ऊपर से ऊँची
जात की वो.
अपने घर के
नोकर से ही
बाज़ी हार गई
जज्बात की वो.



कुछ आँखों ने था
देख लिया
छुप-छुप कर
मिलते बागो में
वो तीन दिनों से
गायब हे
जो रहता था
उसकी आँखों में.



कल शाम नहर के बांध में
उसकी ही
लाश पाई गई
वो रो न सकी
कुछ कह न सकी
उसकी आँखों की नदिया
हो न हो
शायद सूख गई.





सुधीर मौर्या 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
पिन- २४१५०२
09699787634 
 

Wednesday, 1 February 2012

वो अधरों के स्वर





नीले अम्बर के 

मंडप तले 

वो नीले नेनो का 
जादू मुझे बेकल कर गया



कली गुलाबो के से

वो अधरों के स्वर

मेरे लफ्जों को
देखो ग़ज़ल कर गया



काली घटाओ के से

उन जुल्फों का उड़ना

उनके कदमो का लम्स
मेरी झोपडी को महल कर गया



अपने गमो को

आखिर भुला ही बेठे

मेरी आँखों को हाय
फ़साना दर्द का उनका सजल कर गया




'लम्स' से

सुधीर मौर्या 'सुधीर'

०९६९९७८७६३४   

Thursday, 5 January 2012

krshek chhintan

१)  प्रकृति और सर्कार, राखे दोनों भूखा
  कहीं-कहीं पे बाढ़ हे कहीं-कहीं पे सुखा.


२) छीन ज़मीं किसानो की मौज उडावे बिल्डर
  ग्राम देवता के घर का बारिश में टपके छप्पर


३) जो उगाए गन्ना को बिना लिए एक सांस
  एक सेर शक्कर वो पावे देकर रूपए पचास


४) आँख-कान सरकार के बंद कृषक करे फ़रियाद
  गाडी भर गेहूँ के बदले मुट्ठी भर हे खाद


५) आया पूस कटत  हे पाला थर-थर बुध्ह्वा कांपे
   तोड़ की अपने घर का छप्पर बारे आगि तापे


६) खून पसीना बहाए के रहा किसान भिकारी
  मार झपट्टा ले उड़े सब अनाज व्यापारी


सुधीर मौर्या "सुधीर'
ग्राम + पोस्ट - गंज जलालाबाद, जिला- उन्नाव, पिन - २४१५०२
फ़ोन- ०९६९९७८७६३४/०९६१९४८३९६३
जन्म- ०१/११/१९७९, कानपूर
मुंबई की एक अभियांत्रिकी कंपनी में अभियंता
अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा
प्रकाशित पुस्तके- १) आह (ग़ज़ल संग्रह)
                         २) लम्स ( कविता संग्रह)
                         ३) अधूरे पंख ( कहानी संग्रह, प्रेस में)   
     

Friday, 18 November 2011

देश चिंतन

 
                        
                                     देश चिंतन
भ्रस्ताचारी कब तक लगायंगे दाग हिंद के भाल में,
कब तक समायंगे बेगुनाह असमय काल के गाल में.
 
एक तरफ तो चीन हे एक तरफ नापकियाँ हें,
फस रहा हे देश फिर से दुश्मनों के जाल में.
 
कौन करेगा मुकाबला आब देश के आतंकियों  से,
न प्रताप में वो तड़प रही न ख़म शिवा की चाल में.
 
गाय चराना बंसी बजाने का अब कुछ हे काम नहीं,
हाथो में अब चक्र उठाओ यदुनन्दन इस साल में.   
 
सुधीर मौर्या 'सुधीर'
ग्राम & पोस्ट- गंज जलालाबाद
वाया पोस्ट- गंज मुरादाबाद
जिला - उन्नाव (उ.प.)
पिन- २४१५०२
सिच्छा- अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, बी.ऐ, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा.
कृतियाँ - 'आह'
 
     
 

Wednesday, 9 November 2011

हमराही





                                                       
ऐ हमराही
मेरी बिछड़ी राहो  के
कभी-उन राहो पे
वापस गुज़र के देख
जहाँ मेरे कदमो से
तुने-कभी
कदम मिलाये थे

राहो
के  किनारे के
पेड़ो से चुन कर 
हरसिंगार के फूल 
जब तुम-मेरी
जेब में रखा 
करते थे

मचल कर 
सुनसान होते ही 
राह-जब
पकरिया के
पेड की ओट में
तुम मेरे गले लगा
करते थे

बहते ही बसंती हवा 
जब-तुम
शोखियों के साथ
अपने सिने से
लहरा के-आँचल
मेरे कंधे पे रखा
करते थे
और मेरे देखने पर
यूं हया से
आँख नीची कर
राह को तकने 
लगते थे

ओ मेरे
बिछड़े हमराही
आ कर देख
उन राहो को
जो अब बेबसी से
निहारती हे -मुझे
जब में-अकेला
लड़खाताते कदमो से
गुज़रता हूँ -उन से

            सुधीर मौर्या 'सुधीर'
संपर्क- ग्राम और पोस्ट- गंज जलालाबाद 
           जनपद - उन्नाव (उ.प.) 
           पिन - २४१५०२   
शिक्सा - बी.ऐ, प्रबंधन में पोस्ट ग्रादुअते डिप्लोमा , अभियांत्रिकी में डिप्लोमा
जन्म-  ०१/११/१९७९ , कानपूर
मोबाइल - ९६१९४८३९६३/९६९९७८७६३४