Wednesday, 1 February 2012

वो अधरों के स्वर





नीले अम्बर के 

मंडप तले 

वो नीले नेनो का 
जादू मुझे बेकल कर गया



कली गुलाबो के से

वो अधरों के स्वर

मेरे लफ्जों को
देखो ग़ज़ल कर गया



काली घटाओ के से

उन जुल्फों का उड़ना

उनके कदमो का लम्स
मेरी झोपडी को महल कर गया



अपने गमो को

आखिर भुला ही बेठे

मेरी आँखों को हाय
फ़साना दर्द का उनका सजल कर गया




'लम्स' से

सुधीर मौर्या 'सुधीर'

०९६९९७८७६३४   

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