असल में अनुराग ने तीन घंटे की एक दिलचस्प फिल्म बनाई है। एक्शन. कॉमेडी, सेक्स और इमोशन्स... इस फिल्म में उन्होंने हर एक रंग उकेरा है। लेकिन साथ ही साथ वो अपने धूसर रंग में डूबे, ठेठ बोली बोलते किरदारों को भी नहीं भूलते। आख़िर में 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' न केवल अनुराग के निर्देशन में बनी एक अनूठी फिल्म साबित होती हैं, बल्कि ये हिंदी सिनेमा की एक अलहदा रचना बनकर उभरती है। अनुराग निश्चित है बधाई के पात्र हैं।
Tuesday 26 June 2012
गेंग आफ वासेपुर...एक लोमहर्षक फिल्म...
असल में अनुराग ने तीन घंटे की एक दिलचस्प फिल्म बनाई है। एक्शन. कॉमेडी, सेक्स और इमोशन्स... इस फिल्म में उन्होंने हर एक रंग उकेरा है। लेकिन साथ ही साथ वो अपने धूसर रंग में डूबे, ठेठ बोली बोलते किरदारों को भी नहीं भूलते। आख़िर में 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' न केवल अनुराग के निर्देशन में बनी एक अनूठी फिल्म साबित होती हैं, बल्कि ये हिंदी सिनेमा की एक अलहदा रचना बनकर उभरती है। अनुराग निश्चित है बधाई के पात्र हैं।
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badhayi..
ReplyDelete:-)