जहाँ तक मुझे याद पड़ता है मेरे द्वारा लिखी ये पहली नज़्म है. कब लिखी इसका ठीक-ठीक पता नहीं पर शायद तब लिखी जब में आंठ्वी का विद्यार्थी रहा होउंगा.
तो प्रस्तुत है मेरी लिखी पहली नज़्म....
अरे ओ रेत के लड़के
केक्टस
धन्य है तेरा जन्म
जिसने एक बाँझ की गोद
हरी कर दी.
अरे तुने तो हरा दिया
कमल और गुलाब को
तेरी इस जीत पर
तुझे अर्पित करूँ
तूँ ही बता
किस खिताब को?
कल तक तो चर्चा थी
हर जुबाँ पे
गुलाब के महक की
और आज नवाजा जा रहा हे
बस तेरे ही गुणों से
हर किताब को...
bahut sundar ......अरे तुने तो हरा दिया
ReplyDeleteकमल और गुलाब को
तेरी इस जीत पर
तुझे अर्पित करूँ
तूँ ही बता
किस खिताब को?
सुधीर जी यह रचना एक अबोध बच्चे की मानसिक गहराई को बताती है
ReplyDeleteसुन्दर और प्रेरक रचना है।
ReplyDeleteसुंदर रचना के लिए आपको बधाई
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