Wednesday, 20 June 2012

माँ की ऊँगली थामे...



फिर मुझे देने को उलझन आ गया
कौन यह रस्ते में रहजन आ गया

क्यों अचानक फूल मुरझाने लगे
लूटने शायद वो गुलशन आ गया

आज मेरे ख्वाब फिर खतरे में हैं
दोस्त बन कर मेरा दुश्मन आ गया

माँ की ऊँगली थामे बच्चा देखकर
याद मुझ को मेरा बचपन आ गया

वांकाई बारिश हुई है  ऐ 'सुधीर'
या मेरी आँखों में सावन आ गया.. 

1 comment:

  1. बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

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