Thursday, 29 March 2012

शाम-ऐ- तन्हाई में ......



शाम-ऐ-तन्हाई में हमको तुम्हारी याद आती हे
तेरे प्यार की बाते हमे अब तक रुलाती हे


तुन गई तो जीस्त के सब लुत्फ़ चले गए
ख़ाक मेरे बदन की अब हवा उडाती हे


कोई तो देखे मंज़र आँखों से अपनी एसा
तेरे बाद अब मुझको तेरी तस्वीर रुलाती हे


बतायं किस कदर यारो सदमे हम कीने के
उस फरेबिंद की हिकायत फ़ज़ा सुनाती हे





'आह से
सुधीर मौर्या 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
२०९८६९
०९६९९७८७६३४


1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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