सो जगह से चाक ये दिल मेरा
हो गया जिस्म जल थल मेरा
हम उसके शहर को छोड़ चले
लैला मेरी न महमिल मेरा
जब उठा जनाजा कंधों पर
पशेमान खडा था कातिल मेरा
क्या बंधू सफिने में बादबान
रूठा मुझ से साहिल मेरा
वो हाथ हिहाई वो पैरहन सुर्ख
कुछ एसा सजा था मकतल मेरा
From- 'Lams'
Sudheer Maurya 'sudheer'
VPO- Ganj Jalalabad, Unnao
Pin-209869
09699787634
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
आपको नव सम्वत्सर-2069 की हार्दिक शुभकामनाएँ!
thanx sir, aap ko bhi badhai
Deletebahut khoobsurat gazal ...
ReplyDeletethanx
Deleteनव संवत्सर का आरंभन सुख शांति समृद्धि का वाहक बने हार्दिक अभिनन्दन नव वर्ष की मंगल शुभकामनायें/ सुन्दर प्रेरक भाव में रचना बधाईयाँ जी /
ReplyDeleteaap ko bhi badhai
Deleteबहुत सुन्दर गज़ल............
ReplyDeleteबधाई..
shukriya
Deleteसुंदर रचना...
ReplyDeleteहार्दिक बधाईया
बढ़िया रचना भाव विह्वल करती .
ReplyDeletedhanywad sir
ReplyDeletebehtreen prastuti
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