Sudheer Maurya =============
========= ओ ! मेरी प्रेयसी तुम्हारी आँखों के आकर्षणपाश में बंधा में तुम्हे अब भी प्रेम करता हूँ। जानती हो तिफ्ली के आखिरी पड़ाव पर जब तुम बतख की मानिंद उछलते हुईं स्कूल जाती, तो तुम्हारी कमर की अंगडाई पर में सम्मोहित हो जाता स्कर्ट से बाहर झांकती, तुम्हारी गोरी थरथराती पिंडलियाँ मेरे ह्रदय को थरथरा देतीं और मैं आँखे बंद करके तुम्हारी पिंडलियों के ऊपर स्कर्ट में छुपी तुम्हारी जाँघों और नितम्बो के बनाव, गठाव के ख्वाबो के तिलिस्म में खो जाता मेरे दोस्त इसे तुम्हारे प्रति इसे मेरा आकर्षण कहते उस वक़्त तुमने इसे क्या समझा क्या मालुम पर में जानता था तुम्हारे लिए ये मेरे प्रेम की शुरवात थी उस प्रेम की जिसे तुमने अपनी अधमुंदी आँखों को नीचे करके अपने कांपते गुलाबी होठों से कबूल कर लिया ये तुम्हारे महकते बदन की मादकता और नाजुकता का आकर्षण था या फिर मेरे ह्रदय का तुम्हारे ह्रदय से प्रेम जो में हर घडी, हर पल बस तुम्हे निहारना चाहता था बस तुमसे गुफ्तगू करना चाहता था आकर्षण और प्रेम के मध्य अगर कोई झिल्ली है भी तो वो झिल्ली उस रात तुम्हारे कौमार्य की की झिल्ली के साथ टूट गई जब मेरे गरम कांपते अधरों ने तुम्हारे यौवन कमलों को स्पर्श किया उस रात हम एक - दुसरे से आलिंगनबद्ध प्रेम की अन्नत यात्रा पर निकल पड़े तुम्हारे शरीर का फिगर अगर मुझे आकर्षित करता था तो तो मेरा मन तुम्हारे मन को अन्नंत गहराइयों से प्यार करता था ऐ मेरे गुज़रे दिनों की प्रियतमा सच तो ये है में आकर्षण की सभी हदें लांघ कर तुम्हे प्यार करते थे तुम्हे प्यार करते हैं तुम इसे आकर्षण का नाम देकर राह बदल कर जिस प्रेम की मंजिल को हासिल करने गए थे तुमने झाँका नहीं वो मंजिल मेरे मन के भीतर ही थी ख़ैर मैं खड़ा हूँ उसी मोड़ पर, आकर्षण की झिल्ली के उस तरफ जहाँ सिर्फ प्यार है और कुछ नहीं जबकि में जानता हूँ तुम अब तिफ्ली के नहीं जवानी के शिखर पर हो -सुधीर मौर्य गंज जलालाबाद , उन्नाव
बहुत सुन्दर रचना @ हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आप को आमंत्रित किया जाता है। कृपया पधारें आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा |
ReplyDeleteji jarur, dhanywad
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल में शामिल किया गया है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {रविवार} (25-08-2013) को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar
ReplyDelete...बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteनई रचना
तभी तो हमेशा खामोश रहता है आईना !!
dhanywad
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