Monday, 30 April 2012

Raqib sang muskra raha tha



वो दिल पे नश्तर चला रहा था
रकीब संग मुस्करा रहा था

 गिरा का आँचल बदन से अपने
वो हमसे दमन बचा रहा था

पहन के जोड़ा सितारे वाला
अहद वफ़ा का भुला रहा था

जफा निभाता रहा जो हरदम
वफ़ा के किस्से सुना रहा था

जो कम हुई रौशनी शमा की
'सुधीर' के ख़त जला रहा था


सुधीर मौर्या 'सुधीर'
09699787634

Sunday, 29 April 2012

Ek Sher hi to he...

वो दिल को ज़ख़्मी बना रहा हे
रकीब संग मुस्करा रहा हे

Tuesday, 3 April 2012

रोजे अज़ल करेंगे...



जीने नहीं देते ये अलम हमको दयार के
जाते ही उसके रूठे हसे दिन बहार के


बेपर्दा हो गए वो निहा दर्द जिगर के
केसे छुपायं अफसुर्दा दहन बीमार के


काबा गए हम न कभी गए दिएर में 
रोजे अज़ल करेंगे केसे रुख परवरदिगार के


हम गए जो अपनी जान से उनकी बला से ये
संग लिए रकीब फिरते वो मेरी मज़ार के


उनको मयस्सर ज़ीस्त के  लुत्फो हयात सब
जेरे ज़मीं इश्क में 'सुधीर' दो जहाँ हार के

मेरे काव्य संग्रह 'लम्स' से

Sudheer Maurya
VPO-Ganj Jalalabad
Unnao-209869
09699787634
mauryasudheer@yahoo.in

Monday, 2 April 2012

वो हे वेवफा पर


किया बेवफा जो उसको रक़म हे
मेरे हाथ करता फिर वो कलम हे



किया मुझको रुसवा महफ़िल में एसे
वो हे बेवफा पर मेरा सनम हे



थकी आँख मेरी इंतज़ार में उसके
अटकती हे साँसे अब आखिरी दम हे



'सुधीर' न करना अब उल्फत तुम उनसे
वो सितमकश हाय बड़ा बेरहम हे



मेरे काव्य संग्रह 'लम्स' से

Sudheer Maurya 'sudheer'
VPO-Ganj Jalalabad
Disst- Unnao-209869
U.P.
09699787634
sudheermaurya1979@rediffmail.com