Friday, 18 March 2016

मेरे ज़माने की लड़कियां - सुधीर मौर्य



अब वो नहीं गाती  
वो अपमानजनक लोकगीत 
जिनमे उन्हें दी जाती है गालियाँ 
अब वो गाती है 
सुर और ताल में अपने मन की भाषा 
और करती है खुद से वादा 
अपने भीतर न आने देने के लिए कोई हीनभावना 
अब वो पहनती है 
अपनी मर्ज़ी के लिबास अपनी मर्ज़ी से 
कभी साड़ी, कभी जींस और कभी स्कर्ट 
अब वो नहीं जाती 
बड़े घरो में चाकरी को 
जहाँ उनका होता रहता था शोषण 
अब वो जाती है 
स्कूल, कालेज, यूनिवर्सिटी और दफ्तर 
अब वो नहीं झुकातीं अपनी गर्दन 
न ही नीची होती है उनकी आँखे 
ये मेरे ज़माने की वो 
प्रगतशील लड़कियां है 
जो हर पल बनना चाहती है 
दलित लड़कियों की जगह सिर्फ लड़कियां। 
--सुधीर मौर्य   

Tuesday, 1 March 2016

दंगो की पृष्ठभूमि पर पनपती प्रेम कहानी है 'वर्जित' - अंजलि कुशवाहा

अंजुमन प्रकाशन से प्रकाशित मेरे उपन्यास 'वर्जित' पे अंजलि कुशवाहा की सटीक संक्षिप्त टिप्पणी।  - सुधीर मौर्य 

दोस्तों आज पहली बार किसी उपन्यास की समीक्षा अपनी वॉल पर डाल रही हूँ। आशा है कि मैं उपन्यास व लेखक के साथ न्याय करने में थोड़ा सा सफल रही हूँ।
'वर्जित'
लेखक- श्री सुधीर मौर्य
समीक्षा-
वर्जित, साम्प्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि पर पनपती एक प्रेम कथा। कहानी में लेखक ने मानवीय भावनाओं को बखूबी उजागर किया है। लेखक ने कुणाल ( नायक) के माध्यम से जहाँ एक ओर पुरुष वर्ग की कमजोरियों का एक सफल चित्रण दिया है वहीं दूसरी ओर कहानी की नायिका इरम हर कदम पर एक ठोस निर्णय लेती नजर आती है। कहानी का नायक कुणाल जो कि एक लेखक है, इरम नामक मुस्लिम लड़की को बहुत प्यार करता है परन्तु अवनि जो कि उसके मकान मालिक की बेटी है और कुणाल को बहुत प्यार करती है, से सम्बन्ध बना लेता है। उपन्यास की नायिका इरम एक मुस्लिम लड़की जो सैफी ( कुणाल) को बेहद प्रेम करती है और प्रेम में पूर्णतया समर्पित है ,सैफी की वास्तविकता (एक हिन्दू लड़का) जानकर एक कठोर निर्णय लेकर स्वयं को कुणाल के लिए वर्जित घोषित कर देती है।
कुणाल की निर्णय ले पाने की अक्षमता के कारण ही वह स्वयं को अवनि और इरम के बीच फँसा हुआ पाता है। अवनि भी कुणाल को प्रेम करती है और कुणाल की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार है। कहानी में तन्जीला का प्रवेश एक नया मोड़ ले आता है। तन्जीला एक जर्नलिस्ट और इरम की कजिन है।वह एक बोल्ड एवं आजाद ख्याल की लड़की है जो अपने विचारों से कुणाल और इरम को प्रभावित करती है। कुणाल और इरम दुनिया की सारी रिवायतैं तोड़ते हुए शादी कर दूर चले जाते हैं लेकिन शहर में हो रहे दंगे उन्हें वापस ले आते हैं और कहानी का अंत दंगों के दुष्परिणाम के साथ होता है ।

--अंजलि कुशवाहा

इस उपन्यास को अमेज़ॉन के इस लिंक से मगाया जा सकता है।

http://www.amazon.in/varjit-sudheer-maurya/dp/938396975X/ref=sr_1_2?s=books&ie=UTF8&qid=1456904188&sr=1-2&keywords=sudheer+maurya