बचपन मे
कुछ लड़कियाँ तितली होती है
कुछ चिड़ियाँ
कुछ पारियां
और कुछ लड़कियां होती है
सिरों की बोझ
बचपन में
कुछ लड़कियों के नाम होते है
गुड़िया, बैबी और एंजेल
और कुछ लड़कियां
पुकारी जाती है
नासपीटी और कलमुहिं कहकर
बचपन में
कुछ लड़कियां स्कूल जाती है
कुछ सीखती हैं अभिनय
नृत्य और वादन
और कुछ लड़कियाँ जाती हैं खेतों पर
बड़े लोगो के घरो में
करती हैं हाड़तोड़ मेहनत
बचपन में कुछ लड़कियां
सोती है नरम मुलायम बिस्तरों पे
ओढ़ती हैं ढाका का मलमल
और कुछ लड़कियां
बिछती हैं चादर की जगह
ओढ़ती हैं अपने बिखरे बचपन का कफ़न
कुछ लड़कियां
बचपन में खेलती है गुड़ियों और टैडीबेयर से
कुछ लडकिया बचपन में
लड़कियां नहीं रहती
बन जाती हैं औरत
ढोती है जीवन भर किसी का गुनाह
कोख से लेकर गोद तक
और रह जाती है स्वप्नलोक की कहानी बनकर।
--सुधीर मौर्य