Saturday, 25 July 2015

हूर बनने का खौफ - सुधीर मौर्य

आज तुम्हे क्या हो गया है तहज़ीब। अपने सीने से चिपटी एक गोरी, छरहरी, कमसिन लड़की को अपने सीने से अलग करके अपने से पर लगभग धक्का देते हुए वो बोला।
ज़मीन पर पड़े कुछ लम्हे वो सिसकती रही और फिर तड़प कर उसके सीने से लगते हुए बोली - आफ़ताब आज मैं एक लड़की होकर तुम्हारी इल्तिज़ा कर रही हूँ मेरी दोशीज़गी को चूर चूर कर दो। हाँ आफ़ताब आज मेरा कुंवारापन तोहफे में ले लो। इतना कह कर तहज़ीब, आफ़ताब के सीने में अपना चेहरा गड़ाये हुए फफक - फफक कर रो पड़ी।
कुछ देर उसे आंसू बहा लेने के बाद, उसके बाल सहलाते हुए आफ़ताब बोला - तहज़ीब निकाह से पहले जिस्मानी तालुकात नायजायज़ हैं। और फिर तुम्ही तो कहा करती थी 'ये सब शादी के बाद' .
--हाँ आफ़ताब कोई भी लड़की अपना जिस्म सिर्फ शादी के बाद ही मर्द को सौपना चाहती है।
तहज़ीब , आफ़ताब का चेहरा देखते हुए कहे जा रही थी - पर जानते हो वो कबायली दहशतगर्द गांव से कुछ ही दूर हैं जयादा से जयादा वो कल यहाँ आ धमकेंगे। वो हिन्दू - मुस्लमान का फ़र्क़ किये बिना हम लड़कियों का बेदर्दी से बलात्कार करेंगे। आफ़ताब मै बलात्कार होने से पहले मर जाना चाहती हूँ। और जानते हो मरने से पहले मैं अपना कुंवारापन इसलिए क़ुर्बान करना चाहती हूँ ताकि बेरहम दहशतगर्दो को मै जन्नत मे हूर की शक्ल में तोहफे में न मिळू।
तहज़ीब की बात सुनकर आफ़ताब ने तड़पकर उसका चेहरा देखा तो वहां उसे पहली बार किसी लड़की के चेहरे पर हूर बनने का खौफ नज़र आया।
-- सुधीर मौर्य

Friday, 17 July 2015

बल,संगीत और रंगो का संगम है बाहुबली - सुधीर मौर्य

दस जुलाई को रिलीस हुई एस एस राजमौली निर्देशित फिल्म बाहुबली एपिक ऐतहासिक गल्प पे आधारित एक नया कीर्तमान है। फिल्म के मुख्य कलाकार प्रभास (शिवद्दु) तमन्ना भाटिया (अवन्तिका) और अनुश्का (रानी देवसेना) हे
फ़िल्म की  शुरआत राजकीय षडयन्त्र से होती हे और एक स्त्री अपनी बाँहों में एक छोटे बच्चे को लेकर झरना पार करते हुए दिखती है। दो  सैनिक उसका पीछा करते रहते हैं। वह अपने बच्चे को पानी से बचाने के लिए स्वयं नदी मे  चली जाती है और बच्चे को ऊपर रखती है।
ये बच्चा झरनॆ के पास एक गाव के मुखिया के यहा पलता हे जो झरने के ऊपर पहाडो के बीच स्थित महिष्मती राज्य का राजकुमार हे । वह बालक शिवुडु (प्रभास) बड़ा हो कर एक दिन झरने  के ऊपर पहुच जाता है। और वहा उसकी मुलाकात अवंतिका (तमन्ना) से होती है। और फ़िर शिवुडू के बल और तमन्ना के रङ्गो का मेल होता हे । कल - कल बह्ते झरने, पहाडो पे बिछी सङ्ग्मरमर सी बर्फ़ और नीले रङ्ग की सिमटती - बिखरती तितलिया एक अजब समा बान्ध देती हे । जहा अवन्तिका सिवुडू से मिलने से पहले बदामी रङ्ग की एक योद्धा होती हे जो महिष्मती के अत्याचारी राजा भल्लाल के खिलाफ़ छापामार लडाई लडती हे वही शिवुडू से मिलने के बाद वो लाल रङ्ग की परी सी लगती हे । शिवुडू इस लडाई मे अवन्तिका का साथ देता हे और रानी देव्सेना को भल्लाल के केद से छुडा लाता हे जो पच्चीस साल से भल्लाल की केद मे हे। ये रानी देवसेना असल मे शिवुडू की मा होती हे । और यहा से फ़िल्म फ़्लेश बेक मे चली जाती हे । 
जब  शिवुडु के दादा जी को राजा बनाया गया। इस निर्णय पर बज्जला ने यह सोचा कि यह उसके अपंगता के कारण किया गया है। लेकिन उसके भाई की मृत्यु के पश्चात उसे लगता है की अब उसका बेटा नया राजा बनेगा। लेकिन पिछले राजा की पत्नी मरने से पहले अमरेन्द्र बाहुबली को जन्म देती है। बज्जला की पत्नी सीवगामी (रम्या कृष्णन) उत्तराधिकारी के लिए पूरी तरह से सही फैसला लेनें के लिए यह कहती है कि जो भी इसके लिए उपयुक्त होगा वही इस इस गद्दी में बैठेगा। इसके बाद महिष्मती पे एक बहुत बडा हम्ला होता हे और एक बहुत बड़े युद्ध के बाद बाहुबली को नया राजा बना दिया जाता है और भल्लाला देव को सेनाध्यक्ष के पद दे दिया जाता है। अभी फ़िल्म अपनी रोचक्ता की चरम पे होती हे कि महान राज्य्भक्त कट्प्पा के द्वरा बहुबली की धोके से हत्या कर दी जाती हे और यही पे फ़िल्म रुक जाती हे अपने दुसरे भाग के लिये.
अब जब तक ये ना जान लिया जाये राज्य्भक्त कटप्पा ने बहुबली को क्यो मारा और अम्रेन्द्रा बाहुबली के लड्के महेन्द्रा बाहुबली ने भल्लाल को मारकर किस तरह बदला लिया तब तक सुकून नही मिलेगा। और इन्त्जार रहेगा बाहुबली के दुसरे भाग का तो बाहुबली को देखने की सशक्त वजहे हेप्रभास के बाहुबल, तमन्ना के रङ्ग और झर - झर बहते झरने और पहाडो की खुबसूरती
तो अगर नही देखी तो हे ये रोमञ्चक फ़िल्म तो तुरन्त देख डालिय्रे वादा हे एक मिनट को भी जो प्रभास और तमन्ना पलक झपकने दे

--सुधीर मौर्य    

Monday, 6 July 2015

प्रेंम, चॉद, राग, दिया और बंसत - सुधीर मौर्य

हमने किये थे
प्रेम मे
प्रेम निंभाने कें
बडे ब॒डे वादे
चॉद और चॉदनी बनने के
हवा और रागिनी बनने के
अंधेरी रात मे दिया
बंसती पिया बनने के

और जब मॉग क़ी प्रेंम ने
वादे निभानें क़ी
तब तुमने प्रेम नही
मॉग लिये
चॉद, राग, दिया और बंसत.
--
सुधीर  मौर्य

Thursday, 2 July 2015

बैडमिंटन खेलती लड़की - सुधीर मौर्य

तुम गिटार नही बजाती
न ही वायलिन या सितार
तुम पियानो या
हारमोनियम भी नही बजाती
फ़िर भी
तुम्हारे हाथ और उँगलियों से
वो संगीत निकलता  है
जिसमे डूब जाता हूँ  मैं
रुह की गहराईयो तक

तुम नृत्य नहीं करती
न ही डिस्को
न ही कत्थक या फिर भरतनाट्यम
तुमने कभी लोकनृत्य भी नहीं किया
फ़िर भी तुम्हारे
पाँव की थिरकन
मेरे ह्रदय मे
बिजली सी कौंधती है

ओ लड़की !
जब तुम अपने हाथ के
बैडमिंटन  रैकेट से
कोर्ट मे समा  बांधती हो
तो तुम्हारे हाथ से निकले संगीत
और थिरकते पाँव  के तिलिस्म मे
तुम्हारा प्रतिद्व्न्दी ही नही
मैं  भी  खो जाता हूँ।
--सुधीर मौर्य