Friday, 28 December 2012

परिवर्तन की नायिकाए...



सुधीर मौर्या 'सुधीर'
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18 दिसम्बर 2011 को मिस्र की तहरीर चोक पर पर्दर्शन के दौरान सैनिको के हाथो मारपीट और खीचतान में सड़क पर एक लड़की नीली ब्रा में तस्वीरो में कैद हो गयी. उसके बाद काहिरा में आम जनता का जो गुस्सा उबला उसने ये साफ़ कर दिया की कोई भी मिस्र में लड़कियों की आबरू से नहीं खेल सकता. ठीक वही दिल्ली में हुआ जब एक चलती बस में २३ साल की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ तब दिल्ली की जनता ने सडको पर उतर के दिखा दिया कि कोई भी अब लक्ष्मन रेखा को पर नहीं कर सकता. 

पिछले कुछ सालो में ये रही हे परिवर्त की नायिकाए...

'निदा आगा सुल्तानी'-   इरान में चुनावों के बाद सत्ता विरोधी पर्दर्शन के दौरान जून २००९ में गोली का शिकार हुई २६ साला निदा की तस्वीरों को सत्ता विरोधी लहर का चेहरा माना गया...ये बात और हे की इसी नाम की एक लड़की को पुलिसे और सेना से तंग आकर अपने देश को छोड़ना पड़ा.

'मलाला युसुफजई' - स्वात घटी में १४ साला इस लडकीको तालिबान के पढाई विरोधी फरमान का विरोध करने पर सर में गोली मार दी गई, पकिस्तान ही नहीं वरन सरे संसार में उसके समर्थन में लोग उठकर खड़े हो 
गए.

 'दामिनी'-क्या सचमुच जिन्दगी हार गई दामिनी....नहीं कतई नहीं...वो तो ऐसी हिम्मत वाली लड़की है जो हार ही नहीं सकती..जिसने ६-६ दरिंदो का मुकाबला किया हुआ दिल्ली की भागती सडको पर वो हार नहीं सकती. हार तो दिल्ली की सड़के गई हैं..हार तो दिल्ली गई है...हार तो मानवता गई है...और यकीन करो ये हार वो विजय हार लेकर आयगी जो फिर से नारी अस्मिता को सम्मान दिलाय्गा...दामिनी ने जो लक्ष्मन- रेखा अपनी शहादत से खिंची है आव आज ये वचन दामिनी को हम सब दे..ये लक्ष्मन-रेखा अब कभी भी हम टूटने न देंगे..अब कोई darinda किसी लड़की की इज्जत से खेल न पायेगा... 

Sudheer Maurya 'sudheer'


Thursday, 20 December 2012

ओ ! हिन्द की बेटी दामिनी


सलाम करता हूँ 
में तेरी हिम्मत को
ओ! हिन्द की बेटी
'दामिनी'
तुझे लड़ना है
मौत से 
और देना है उसे 
शिकस्त
उठ 
और बिजली की तरह 
चमक कर
सार्थक कर दे 
अपना नाम 
और लिख दे 
उन दरिंदो के
खून से
आसमान के
केनवास पर 
तूँ अबला नहीं  
जो दम तोड़ दे
घबरा के जहाँ के
 सितम से
तूँ तो वो सबला है
जो मिटा देती है
जुर्म करने वालो 
का नामोनिशान...

Sudheer Maurya 'Sudheer'
sudheermaurya1979@rediffmail.com

Tuesday, 18 December 2012

फिल्म शूटिंग




शाम का हल्का धुंधलका फ़ैल रहा था. रस्ते से जा रही लड़की को मनचलों ने चलती गाडी को स्लो करके खींच लिया.मुह पर टेप चिपकाने के बाद सब ने चलती गाडी में लड़की के साथ बारी बारी बलात्कार किया.

सुनसान रास्ते पर गंग रैप करने के बाद  मनचलों ने गाडी के स्लाइडिंग दूर खोल के लड़की को सड़क पर फ़ेंक दिया.

पीछे से रही कार में बैठी एक सात साल की लड़की फेंकी जा रही लड़की की तरफ ललचाई नजरो से देखती हुई, कार ड्राइव कर रहे अपने पापा से बोली - पापा प्लीज स्लो चलिए फिल्म शूटिंग चल रही है , अब हीरो आएगा.

सड़क पर गैंग रपे से पीड़ित लड़की चलती गाडी से फेंके जाने से जिन्दगी और मौत के बीच झूल रही थी.और सात साल की लड़की के पापा को हीरो बनने की कतई इच्छा नहीं थी.

सुधीर मौर्या 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
२०९८६९
9582844580 


Friday, 7 December 2012

जबरन धर्म परिवर्तन और रिंकल कुमारी..

 
 
Sudheer Maurya 'Sudheer'
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पिछले 8 महीनो में रिंकल कुमारी के जबरन धर्म परिवर्तन की खबरे पाकिस्तान विशेष रूप से सिंध के मीडिया में लगातार आती रही हे पर पाकिस्तान में हो रहे जबरन धर्म परिवर्तन पर भारत का मीडिया और राजनेतिक लोग बिलकुल उदासीन रहे हैं। कारण यदि सरहद पार का है तो में यही कहूँगा सरदे बाँट लेने से इंसानों को लगने वाली चोट की तासीर नहीं बदल जात।
...

अभी कुछ दिन पहले पंजाब के एक मंत्री ने लाहौर से अपनी बहन के गुम हो जाने का विरोध पकिस्तान में दर्ज कराया। यदि वो अपनी अप्रवासी बहन (शायद कनाडा में रहती हे) के बारे में बात कर सकते हैं तो रिंकल के बारे में क्यों नहीं। शायद इसलिए की वो उनकी रिश्तेदार नहीं है।

आइये जानते हैं ये रिंकल कुमारी है कोन ?

पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के मीरपुर मेठेलो की रिंकल कुमारी का 24 फ़रवरी 2012 को उसके घर से अपहरण कर लिया गया। ठीक उसी दिन उसे जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया और दिन ढलते-ढलते उसे जबरन एक मुस्लिम लड़के की बीवी बना दिया गया। रिंकल अपने माँ-बाप के पास जाना चाहती थी। मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। सुनवाई के दोरान रिंकल ने रो-रो के माँ के साथ रहने की गुहार लगे। पर वकील के ये कहने पर लड़की ने कलमा पद लिया है उसे नारी निकेतन भेज दिया गया। रिंकल के विरोध करने पर पुलिस उसे घसीटते हुए ले गई।

रिंकल ने बख्तरबंद गाडी में चदते हुए अपने वकील अमरलाल से दर्द बरी आवाज़ में कहा - आप लोग मुझे बचा नहीं पाए , अब में क्या करू या तो अपने को कुर्बान कर दू या अपने घर वालो को कुर्बान कर दू। रिंकल का ये बयान काफी मायने रखता है।

नारी निकेतन में रिंकल से मिलने गई हिन्दू काउन्सिल की मंगला शर्मा को रिंकल ने उस पर हो तहे आत्याचार के बारे में बताया। जिससे रिंकल के दर्द और मज़बूरी का अंदाजा लगाया जा सकता है। रिंकल ने मंगला शर्मा से कहा उसे शायद पाकिस्तान में न्याय नहीं मिलेगा। रिंकल का ये अंदेशा में सच साबित हुआ।

आइये देखते हैं किस तरह रिंकल के मामले में न्याय की देवी सोती रही।

1: 24 फ़रवरी 2012 को रिंकल का अपहरण उसके घर से नवेद शाह और उसके गन मेन ने किया।

2: उसे जबरन बरचुन्दी शरीफ ले जाया गया जहा ppa MNA मिया अब्दुल हक (मिया मिट्टू ने उसे जबरन इस्लाम काबुल करवाया।

3: 25 फ़रवरी 2012 को रिंकल के रिश्त्व्दारो ने केश दर्ज किया।

4: कोर्ट में रिंकल ने कहा उसे बुरी तरह से मारा पीटा गया और इस्लाम काबुल न करने पर उसके परिवार को जान से मरने की धमकी दी गई।

5: रिंकल के इस बयां के बाद भी की वो अपने माँ-बाप के जाना चाहती है, जज हसन अली ने MNA मिया मिट्ठो के दबाव में सुनवाई अगली तारिक पर मुल्तवी कर दी।

6: 27 फ़रवरी 2012 तक पीडिता रिंकल कुमारी को पुलिस कस्टडी में रखा गया जहा उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। 27 फ़रवरी को रिंकल को मिया मिट्ठू के गन मेन की कस्दी में कोर्ट लाया गया। किसी भी हिन्दू को मिया मिट्ठू के गन मेनो ने अन्दर नहीं जाने दिया। जज सामी-उल- कुरैशी ने रिंकल के बयां की परवाह न करते हुए फैसला नवेद शाह के हक में सुनाया। उस वक़्त कोर्ट में रिंकल का कोई भी रिश्तेदार मौजूद नहीं था।

7: आल हिन्दू काउन्सिल की अर्जी पर 12 मार्च 2012 सिंध हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए रिंकल को दारुल-अमन भेज दिया।

8: 26 मार्च 2012 को रिंकल कुमारी ने सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस इफ्तिकार चौधरी के सामने ब्यान दिया उसे दारुल-अमन न भेजा जाये। रिंकल ने कहा इसके बदले वो मरना पसंद करेगी। रिंकल ने कहा आप दारुल-अमन में एक रात गुजरने की कल्पना भी नहीं कर सकते। पर जज ने उसे वापस कराची शेल्टर हॉउस में भेज दिया।

9: 26 मार्च से 18 अप्रैल 2012 तक दारुल-अमन में रिंकल पर भयंकर आत्याचार हुए। उसके साथ कई बार रैप किया गया।

10: 18 अप्रैल 2012 को जज ने रिंकल की बात को अनसुना करते हुए उसे जबरन नवेद शाह के साथ भेज दिया।

तब से लेकर अब तक रिंकल कुमारी मिया मिट्ठू की प्राईवेट जेल में केद हे। और निरंतर यातना को बोग रही है।

धर्म परिवर्तन एक अलग मुद्दा है। पर क्या इक्कीसवी सदी में किसी इन्सान को इस तरह गुलाम / दास बनाना जायज है। हाँ रिंकल मिया मिट्ठू की हवेली में SLAVE है एक SEX SLAVE .

क्या हमारा दायित्वा कुछ नहीं। क्या हम अब भी मध्य युग में जी रहे हैं। ये एक यक्ष सवाल है जो रिंकल के केस ने उठाया है।

सुधीर मौर्य 'सुधीर'

अभियंता और स्वतंत्र लेखन

ग्राम और पोस्ट - गंज जलालाबाद

जनपद- उन्नाव , 209869

sudheermaurya1979@rediffmail.com