Thursday, 5 January 2012

krshek chhintan

१)  प्रकृति और सर्कार, राखे दोनों भूखा
  कहीं-कहीं पे बाढ़ हे कहीं-कहीं पे सुखा.


२) छीन ज़मीं किसानो की मौज उडावे बिल्डर
  ग्राम देवता के घर का बारिश में टपके छप्पर


३) जो उगाए गन्ना को बिना लिए एक सांस
  एक सेर शक्कर वो पावे देकर रूपए पचास


४) आँख-कान सरकार के बंद कृषक करे फ़रियाद
  गाडी भर गेहूँ के बदले मुट्ठी भर हे खाद


५) आया पूस कटत  हे पाला थर-थर बुध्ह्वा कांपे
   तोड़ की अपने घर का छप्पर बारे आगि तापे


६) खून पसीना बहाए के रहा किसान भिकारी
  मार झपट्टा ले उड़े सब अनाज व्यापारी


सुधीर मौर्या "सुधीर'
ग्राम + पोस्ट - गंज जलालाबाद, जिला- उन्नाव, पिन - २४१५०२
फ़ोन- ०९६९९७८७६३४/०९६१९४८३९६३
जन्म- ०१/११/१९७९, कानपूर
मुंबई की एक अभियांत्रिकी कंपनी में अभियंता
अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा
प्रकाशित पुस्तके- १) आह (ग़ज़ल संग्रह)
                         २) लम्स ( कविता संग्रह)
                         ३) अधूरे पंख ( कहानी संग्रह, प्रेस में)