Wednesday, 6 May 2015

नाम - सुधीर मौर्य

तुम्हारा और मेरा नाम 
अभी लिखा है
गाव से सटे जंगलो में 
दरख्तों के तनो पर 
बहती हुई नहर पर बने 
बांध की दीवार पर 
और हर उस जगह 
जहाँ हम कभी साथ - साथ थे 
जानती हो ? मेरे मन पे
अब भी तुम्हारा नाम लिखा है
जबकि मै जानता हूँ 
तुम्हारे मन पे अब मेरा नाम नहीं। 

--सुधीर मौर्य

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