Friday 22 March 2013

वो लड़की है - सुधीर मौर्य


Sudheer Maurya
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वो लड़की है 

टीनएज 
उसने देखा नहीं है, शहर 
वो गावं के पास के 
कसबे में भी कभी गई नहीं 
पर वो देखती है 
वो सड़क 
जिसके बारे में 
उसने सुना है 
जाती हे वो 
कस्बे से होते हुए 
शहर तक 

कई बार देखा है उसने 
इसी सड़क से 
कार में बैठ कर 
शहर से आते 
और शहर जाते हुए 
एक अपनी 
हम उम्र लड़की को 
जिसके पिता के खेत में 
काम करता है 
उसका बापू 

वो लड़की है 
जिसे मालूम नहीं 
टेडीबियर के बारे में 
जिसने देखा नहीं 
टी .वी .का जादुई बक्सा 
पर उसी गावं के मनचले 
जो टी . वी . देखते हैं 
वो घूरते हैं उसे 
टेडीबियर की तरह 
कुछ कह नहीं पाती वो 
क्योंकि 
वो लड़की है 
जो शहर जाती 
सड़क देख तो सकती है 
पर उस पर 
दौड़ नहीं सकती 

 सुधीर मौर्य 'सुधीर'

Friday 15 March 2013

हिन्दू गान - सुधीर मौर्य 'सुधीर'


Sudheer Maurya 
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आओ मिलके गाये उन हिन्दुओ की आरती 
अभिमान जिनपे करती है अपनी माँ भारती 

तक रहा वो हिन्द था पर्शिया को जीत के 
अभिमान चूर कर दिया चाणक्य, चन्द्रगुप्त ने 
चीन भी थर्राता था उस बर्बरी जाति  से 
हूणों को विजित किया यूवराज स्कंदगुप्त ने
शत्रुओं की फौज के पाव को उखाड्ती 

आओ मिलके याद करे वीर राजा दाहर की  
मुक्तपीड और बाप्पा जैसे नाहर  की 
मेवाड़ के रानाओ तुम्हारे चरणों की वन्दना 
सांगा, उदय, प्रताप, अमरसिंह की गर्जना 
जौहर में कूदती पद्मनी और मालती 

आओ मिलके गाये उन हिन्दुओ की आरती 
अभिमान जिनपे करती है अपनी माँ भारती 

सुधीर मौर्य 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव 
209869

    


Thursday 14 March 2013

बांग्लादेश के हिन्दू भी इंसान ही तो है


Sudheer Maurya
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सन 1971  में पूर्वी बंगाल को पकिस्तान के आत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए वहां के हिन्दुओ ने स्फूर्तिदायक स्वतंत्रता युद्ध लड़ा, आजदी मिली पर उन पर होते आत्याचार आज भी कम हुए।
बंगला देश के उसी स्वतंत्रता संग्राम में कट्टरपंथी दिलावर हुसैन सईदी ने हिन्दुओ को लक्ष्य करके उनकी  स्त्रियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और करवाया। वो जमाते इस्लामी का नेता है। पिछली 28 फ़रवरी को उसे 1971 में नरसंहार और दुष्कर्म करने के अपराध में फासी की सज़ा सुनाई गई। बस उसके बाद लगभग साडे पंद्रह करोड़ की आबादी वाले बांग्लादेश जिसमे दस फीसदी हिन्दू रहते हैं उन पर मुस्लिम कट्टरपंथी टूट पड़े। जाने कितने हिन्दुओ को मौत की घाट उतार दिया गया, उनकी लडकियों के साथ बलात्कार किया गया।  जाने कितने देवालय और मंदिर तोड़ दिए गये, जला दिए गए।
ये वही जमाते इस्लामी के राक्षस है जिन पर पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर साजिश रचने के आरोप हैं। ख़ैर पकिस्तान के बारे में तो बात करना ही बेकार है वहाँ रह रहे ( बचे हुए एक या डेड़ पर्तिशत) उनकी हालत तो और भी बदतर है। पर भारत सरकार भी अपने पडोसी देशो में हिन्दुओ पर हो रहे अत्याचार पर खामोश है, ये बहुत दुःख की बात है। 
हम जब तक खामोश रहेंगे पकिस्तान और बांग्लादेश में इंसानियत का क़त्ल होता रहेगा। भारत को अपनी ख़ामोशी तोडनी होगी और  अमेरिका की तरह पकिस्तान में घुस कर ओसामा जैसे लोगो को सबक सिखाना होगा। 

Monday 11 March 2013

रिंकल का शिकवा - सुधीर मौर्य

 ये लड़की रिंकल अब भी कैद में है, मेरी कविता 'रिंकल का शिकवा' का अरेबिक सिन्धी अनुवाद श्री राकेश लखानी ने किया है। 

رنڪل جون منٿان

سُڌير موريه “سُڌير” هندي ڀاشا جو ڪوي ٿوڙي ليکڪ رهيو آهي. سندس اٺ ڏه ڪتاب شايع ٿي چڪا آهن. جا کان اسين رنڪل ٿوڙي اغوا ٿيئل هندو نياڻيون جي نسبت جاکڙو شروع ڪيو هو اسان سان برابر جو سنڳتي رهيو آهي.



پيش آهي سندس تازي ڪويتا جيڪا ضائيفائو جي عالمي ڏنهن جي معڪي تي رنڪل ڪماري تي سمرپت آهي




رنڪل جون منٿان

اڄ جي رات پڻ
ڪاري ئي نڪتي
ڀنڀ ڪاري اُنڌهي
ڇو لکي ڏِنئي
منهنجا سائين
نصيب ۾ منهنجي
آئون ته ٻُڌو هو
اُڀ جي ڀونءِ تي
سرهديون نه هونديون آهن
اتي ڪو
هندو مومن ناهي
سِنڌُ يا هِندُ ناهي

تون مٿي آهين
ان رواج کان
آخير تون
اڀ وارو آهين

وري ڇا ٿيو
جي منهنجو سڏُ
تونهنجي ڪنن تائين
دستڪ نه ڏئي سگھيو
اڙي منهنجا سائين

اڙي منهنجا اِشور
آئون اڃا به
توکي
اڀ واري ئي ليکندي آهيان
پر تون ڇو
ننڌڪڻي ڪون سمجھوئيِ
اڙي اڀ وارا
نانءُ ياد اٿي نه منهنجو
آئون رنڪل ڪماري آهيان
يا وري
تون پڻ
منهنجو ڪوئي
ٻيو نانءُ رکي ڇڏيو آٿئي.


ڪوي سُڌير موريه “سُڌير”
Sudheer Maurya 'Sudheer'

Wednesday 6 March 2013

रिंकल का शिकवा


Sudheer Maurya 
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आज की रात भी 
काली ही गुजरी
घना काला अँधेरा 
क्यों लिख दिया 
मेरे मौला 
नसीब में मेरे 
मेंने तो सुना था 
की आसमान की धरती पर 
सरहदे नहीं होती 
वहां 
कोई 
हिन्दू या मुसलमान नहीं 
वहाँ कोई 
सिंध या हिन्द नहीं 

तू ऊपर है 
इन रिवाजों से 
आखिर तू 
आसमान वाला है 

पर  फिर क्या हुआ 
जो मेरी आवाज़ 
तेरे कानो पे 
दस्तक न दे सकी 
ऐ मेरे मौला 
ऐ मेरे ईश्वर 
में अब भी 
तुझे 
आसमान वाला ही 
समझती  हु 
पर तूने क्यों 
मुझे धरती का 
मजलूम न समझा 
ऐ आसमान वाले 
नाम याद है 
न मेरा 
में रिंकल कुमारी हु 
या फिर 
तूने भी 
मेरा कोई और नाम 
रख लिया है 

सुधीर मौर्य 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव 
209869