Sunday 26 October 2014

डॉली : गुड़िया एक फरेब की - ४

नाबालिग आयु मे
कर बैठी थी वो प्यार
अंतरंग पलो मे
अपने प्रियतम को दे कर
यूरोप और अमेरिका के उदाहरण
ठहराती थी जायज सेक्स सम्बन्ध
एक दिन बोली वो अचानक
तय हो गई है उसकी शादी
उसकी जाति के
एक धनवान लडके से

अपने प्रेमी के मनुहार पे
उसका हाथ झटक कर बोली
कैसे टाले वो घर वालो का कहना
आखिर वो है
एक भारतीय लडकी.
...
सुधीर मौर्य

Sunday 19 October 2014

डॉली: गुड़िया एक फरेब की - 3

अपनी बाहों के सहारे
झूल कर मेरे गले से
एक दिन कहा था उसने
वे करती टूट कर
प्यार मुझसे

और देखो
लहुलुहान हूं मै
उसके टूटे हुए प्यार की
किरचों से आज.
...
सुधीर

Friday 17 October 2014

डाली: गुड़िआ एक फरेब की - 2

हर किरदार तय है
तेरी कहानी मे
तेरे लिये
खडे है कतार मे
तेरे सारे प्रेमी
हर किसी के पास 
तेरी कहानी का
कोई कोई हिस्सा है
इस कतार मे खडा है
सबसे पीछे
तेरा वो प्रेमी 
जिसे लूटा था 
तुमने कभी अंधेरी रात मे
अपना कौमार्य बेच के.
--सुधीर

Tuesday 14 October 2014

डाली: गुड़िआ एक फरेब की...

तूं पूरी मै पूरा

आधी रात का प्यार अधूरा
मॉग कहीं सिन्दूर कहीं
सजती सुहागसेज कहीं
कभी दोस्ती वैर कभी
पति कहीं कौमार्य कही
मन मे कपट आंख मे आंसू
कितने घायल कितने बिस्मिल
तूफान कही कहीं पे साहिल
तूझे मुबारक झूठ तुम्हारा
बस इतना था साथ हमारा.
--सुधीर