कलम से..
Gazal,Nazm,Stories & Article by Sudheer Maurya
Pages
मुखपृष्ठ
ब्लाग तड़ाग
साँझ
साहित्य
आह
साहित्य-'नारी दस्तखत'
मित्र मधुर
संजोत
Sudheer
Wednesday, 13 May 2015
एक उदास नज़्म (२) - सुधीर मौर्य
ओ
ख्वाबीदा
लड़की
!
मैने
बिखेर
दी
है
तेरे
उदास
चेहरे
पर
हिमालय
की
ताज़गी
और
रख
दिया
है
तेरी
कोख
में
धूप
का
वो
नर्म
टुकड़ा
जिसे
पाला
था
,
मैने
सितारों
के
बीच
किसी
की
यादों
का
हाथ
पकड़
के।
--
सुधीर
मौर्य
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment