Wednesday, 13 May 2015

एक उदास नज़्म (२) - सुधीर मौर्य

ख्वाबीदा लड़की !
मैने बिखेर दी है
तेरे उदास चेहरे पर
हिमालय की   ताज़गी
 और रख दिया है तेरी कोख में
धूप का वो नर्म टुकड़ा
जिसे पाला था, मैने
सितारों के बीच
किसी की यादों का हाथ पकड़ के।

--सुधीर  मौर्य    


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