Sunday 10 December 2023

एनिमल मूवी - समीक्षा

 एनिमल 



जिस तरह से एनिमल फिल्म के बारे सोशल साईट पर नकरात्मक बात चल रही हैं वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है। इस मूवी से पहले बहुत सी फिल्मो में इससे ज्यादा हिंसा और अश्लीलता का प्रदर्शन हुआ है। इस फिल्म में जो भी इस संबंध में दृश्य हैं वो कहानी और फिल्म की मांग है। जिन्हे अश्लील दृश्य बताया जा रहा है वो उत्कृष्ट अभिनय और फिल्मांकन के चलते प्रेम दृश्य दिखाई देते हैं। 

रणवीर और तृप्ति के बीच के अंतरंग दृश्य भी अश्लील कम भावनाओ से भरे हुए ज्यादा लगते हैं। पूरी फिल्म अनिल कपूर और रणबीर के आस पास घूमती है। बॉबी देवल को बहुत कम दृश्य हासिल हुए है लेकिन वे फिर भी अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज़ करते हैं। 

फिल्म जिस उद्देश्य को लेकर बनी है उसका सन्देश देने में कामयाब हुई है। 

निर्माता, निर्देशक बधाई के पात्र है और हाँ रश्मिका अभी भी नेशनल क्रश बनी हुई हैं। 

--सुधीर  

Wednesday 29 November 2023

इंद्रप्रिया (ऐतिहासिक उपन्यास) - सुधीर मौर्य


ऐतिहासिक उपन्यास लिखना यद्यपि एक कठिन कार्य है किंतु फिर भी मैं इसमें अत्यंत आनंद का अनुभव करता हूं। इस उपन्यास और इससे पहले लिखे गए मेरे सारे ऐतिहासिक और पौराणिक उपन्यास जिन्हें मैं जब लिख रहा था उस समय मैंने स्वार्गिक आनंद का अनुभव किया।
#इंद्रप्रिया वास्तव में मेरे लिए सिर्फ एक कथा या उपन्यास भर नहीं है अपितु यह दस्तावेज का एक हिस्सा है उस काल का जब भारत में मुगल सल्तनत अपने चरम पर थी। उस समय भारत पर मुगल बादशाह अकबर जिसे इतिहासकारों ने महान घोषित कर रखा है उसका अबाध शासन चालू था। मुगल बादशाह अकबर की महानता को महिमामंडन करने वाली अनेकों कहानियां उपन्यास लिखे गए। जब मैंने इस उपन्यास को लिखना आरंभ किया तो मेरे सामने कठिन चुनौती थी क्योंकि इस उपन्यास में मुगल बादशाह अकबर एक किरदार के रूप में उपस्थित था और मेरी लेखनी साक्ष्यों और तर्कों के आधार पर उसकी महानता को खंडित करने का प्रयास कर रही थी।
प्रस्तुत उपन्यास ओरछा की राजनर्तकी प्रवीण राय के जीवन पर आधारित है। वह प्रवीण राय जिनके ऊपर साक्षात सरस्वती का आशीर्वाद था, वह प्रवीण राय जिनके अंग में आम्रपाली का नृत्य निवास करता था, वह प्रवीण राय जिन्हे आचार्य केशव के शिष्या होने का गौरव हासिल था, वह प्रवीण राय जो ओरछा के राजकुमार इंद्रजीत के एकनिष्ठ प्रेयसी थी।
अपने काव्यचातुर्य, अपने नृत्य और अपनी प्रवीणता से प्रवीण राय ने ना केवल स्वयं को अमर कर दिया बल्कि उनके साथ-साथ उनके प्रेमी उनके पति राजकुमार इंद्रजीत का नाम भी अमर हो गया, ओरछा अमर हो गया।
प्रवीण राय की महानता केवल इतनी भर नही है बल्कि उन्होंने मुगल बादशाह कामुक अकबर के दरबार में जाकर अपने वाकचातुर्य से उसे पराजित किया। वह घटना भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम पृष्ठ है।
अब इस उपन्यास के बारे में ज्यादा कुछ ना लिखकर मैं सीधे ये उपन्यास अपने पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करता हूं और मुझे आशा है कि वह सदैव की भांति अपना प्रेम और स्नेह है मुझे प्रदान करेंगे।
महान ईश्वर को नमन करते हुए..
सुधीर मौर्य
कानपुर, उत्तर प्रदेश

Monday 4 January 2021

ऐतहासिक उपन्यास हम्मीर हठ से


 'मरहठ्ठी बेगम तुम क्या खुशनसीबी और वक़्त की फेर की बात कर रही हो जबकि सच तो ये है कि आज सारी ज़मीन पर कहीं भी कोई भी तलवारे अलाई का मुकाबला करने की हिम्मत और हिक़ामत नहीं कर सकता।'

कह कर सुल्तान अलाउद्दीन खिलज़ी हंस पड़ा। दम्भी और वहशी हंसी। देवी छिताई कुछ क्षण उसकी वाहिशयानी हंसी देखती रही और पैतरा बदल के वही ज़मीन पर दोनों घुटने मोड़ के उन पर अपने स्थूल नितम्बो के सहारे बैठते हुए किसी बिफरी हुई शेरनी की भांति दहाड़ते हुए बोली 'हाँ सुलतान ये तुम्हारी और तुम्हारी तलवारे अलाई दोनों की खुशकिस्मती है और वक़्त का फेर है कि तुम्हारा सामना चन्द्रगुप्त मौर्य से नहीं हुआ। जब उनके सामने वास्तविक सिकंदर न टिक सका तो खुद को सिकंदर सानी नाम से तसल्ली देने वाले तुम कैसे टिक पाते।'
'अच्छा हुआ सुल्ताने हिन्द तुम्हारा सामना समय की चाल के सौभाग्य से 'समुद्रगुप्त और १६ वर्ष की आयु में हुणों को खदेड़ने वाले स्कंदगुप्त से नहीं हुआ। सच तुम्हारी किस्मत बाबुलंद है जो विक्रमादित्य, हर्षवर्धन और पुलिकेशन दवतीय से तुम्हारा सामना नहीं हुआ नहीं तो तुम्हारी तलवारे अलाई को चूर्ण में परिवर्तित कर दिया गया होता। तुम्हारी किस्मत का सच में रोशन हे मेरे पतिदेव जो तुम्हारे सामने बाप्पा रावल और नागभट्ट नहीं आये नहीं तो....।'
Sudheer Maurya 'Sudheer'

Thursday 27 February 2020

हम्मीर हठ (ऐतिहासिक उपन्यास) - सुधीर मौर्य


हम्मीर हठ Hammir Hath
शीघ्र प्रकाश्य ऐतहासिक उपन्यास #हम्मीर_हठ से
‘मरहठ्ठी बेगम तुम क्या खुशनसीबी और वक़्त की फेर की बात कर रही हो जबकि सच तो ये है कि आज सारी ज़मीन पर कहीं भी कोई भी तलवारे अलाई का मुकाबला करने की हिम्मत और हिक़ामत नहीं कर सकता।’
कह कर सुल्तान अलाउद्दीन खिलज़ी हंस पड़ा। दम्भी और वहशी हंसी। देवी छिताई कुछ क्षण उसकी वाहिशयानी हंसी देखती रही और पैतरा बदल के वही ज़मीन पर दोनों घुटने मोड़ के उन पर अपने स्थूल नितम्बो के सहारे बैठते हुए किसी बिफरी हुई शेरनी की भांति दहाड़ते हुए बोली ‘हाँ सुलतान ये तुम्हारी और तुम्हारी तलवारे अलाई दोनों की खुशकिस्मती है और वक़्त का फेर है कि तुम्हारा सामना चन्द्रगुप्त मौर्य से नहीं हुआ। जब उनके सामने वास्तविक सिकंदर न टिक सका तो खुद को सिकंदर सानी नाम से तसल्ली देने वाले तुम कैसे टिक पाते।’
‘अच्छा हुआ सुल्ताने हिन्द तुम्हारा सामना समय की चाल के सौभाग्य से ‘समुद्रगुप्त और १६ वर्ष की आयु में हुणों को खदेड़ने वाले स्कंदगुप्त से नहीं हुआ। सच तुम्हारी किस्मत बाबुलंद है जो विक्रमादित्य, हर्षवर्धन और पुलिकेशन दवतीय से तुम्हारा सामना नहीं हुआ नहीं तो तुम्हारी तलवारे अलाई को चूर्ण में परिवर्तित कर दिया गया होता। तुम्हारी किस्मत का सच में रोशन हे मेरे पतिदेव जो तुम्हारे सामने बाप्पा रावल और नागभट्ट नहीं आये नहीं तो….।’
–सुधीर मौर्य

Tuesday 28 January 2020

कंगना राणावत - सुधीर मौर्य

अभिनय कला की देवि वो 
सिरमौर सभी नृत्यांगना की


रानी झांसी का ताप है उसमे

शीतलता गंगा – जमुना की


ह्रदय मे धधके अग्निशिखा
राष्ट्र ध्वज के गरिमा की

लाड़ली बहादुर लड़की वो
भारत मां के अंगना की

वालीवुड पर चलती है
अब एक हुकूमत कंगना की।
–सुधीर मौर्य

Sunday 15 December 2019

मणिकपाला महासम्मत (आदिकालीन उपन्यास) - सुधीर मौर्य

किसी महान पुरुष से ही जाति या वंश की परम्परा चलती है। कभी कभी जब जाति की किसी पीढी मे कोई अन्य महान व्यक्ति जन्म ले लेता हे तो फ़िर उस वंश की आगे की पीढ़ियां उसके नाम से जानी जाती है।
शाक्यों का वो महान वंश जिसमे गौतम बुद्ध, चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक महान और चित्तौड़ नगर का निर्माण करने वाले महराज चित्रांगद मौर्य आदि कई महान ऐतिहासिक महापुरुषों ने जन्म लिया उस महान शाक्य वंश के मूल पुरुष महासम्मत है। महासम्मत का अर्थ है, वो व्यक्ति जिसे सर्वसम्मति से राजा चुना जाए। महासम्मत का व्यक्तित्व सूर्य की भांति देदीप्यमान था इसलिए कई ग्रन्थ शाक्य वंश को सूर्यवंश भी कहते है।
बचपन के दिनों में जब मैं इतिहास के प्रति सजग हो रहा था तो मै महावस्तु अवदान, महावंश और सुमंगल विलासिनी जैसे बौद्ध ग्रंथो के संपर्क में आया। ये सभी ग्रंथ महासम्मत को जम्बूद्वीप का पहला राजा मानते है और उनकी वंशावली प्रस्तुत करते है।
बौद्ध ग्रंथ महावंश के अनुसार महासम्मत के पश्चात क्रमश: रोज, वररोज, कल्याणक (प्रथम और द्वुतीय), उपोषथ, मान्धाता आदि से ओक्काक के राजा बनने तक का वर्णन है। इतिहास साक्षी है कि यही ओक्काक जिन्हे कुछ ग्रंथ भ्रमवश इच्छवाकु कहते है उन्ही के वंश में ग्यारहवे महासम्मत काल में गौतम बुद्ध ने जन्म लिया।
बौद्ध ग्रंथ इन महासम्मत के पराक्रम एवं इनके काल में घटित घटनाओ का वर्णन करते हुए उनके पुत्र एवं पत्नी की चर्चा करते है। रोज महासम्मत के पुत्र थे और विष्णु की भगिनी मणिकपाला इनकी पत्नी।
बौद्ध ग्रंथ अब तक हुए २८ बुद्धो के बारे में बताते है। इनमे गौतम बुद्ध, कस्सप बुद्ध, कोनगमन बुद्ध और ककुसंध बुध ये चार प्रमुख है। ककुसंध बुद्ध का काल आठवे महासम्मत के वंशकाल से संबंधित है। मैने इसी काल, ककुसंध बुद्ध और महासम्मत को केंद्र में रख कर इस आदिकालीन उपन्यास को लिखने का प्रयास किया।
उपन्यास कैसा बन पड़ा, मैं अपने प्रयास में कितना सफल रहा ये तो आप सब सम्मानित लोग ही बतायेगे।
महासम्मत और बुद्ध को शीश नवाते हुए आपका
सुधीर मौर्य, मुंबई

Sunday 21 July 2019

स्वपन में स्वपन मेरा पालती है - सुधीर मौर्य

स्वपन मे स्वपन मेरा पालती है
मेरी आँखों में आकर झांकती है।

वो लड़की गॉव की उडती हवा सी
कभी चंचल कभी अल्हड़ जरा सी
कि उसकी देह पर तिफ्ली का मौसम
युगुल आंखें किसी काली घटा सी।
वो एक बहती हुई अचिरावती है
स्वपन में स्वपन मेरा पालती है।

उसकी बाते किसी नटखट के जैसे
उसकी पलकें किसी पनघट के जैसे
उसके माथे पे सूरज का ठिकाना
बदन लचके किसी सलवट के जैसे।
मेरे सर पर वो साया तानती है
स्वपन में स्वपन मेरा पालती है।

जी करे उस पे कोई गीत लिख दूं
उसके पॉव मे संगीत लिख दूं
जो उसकी रूसवाई का डर न हो
अपना उसे मै मनमीत लिख दूं।
कभी देवल कभी पदमावती है।
स्वपन में स्वपन मेरी पालती है
मेरी आँखों में आकर झांकती है।
--सुधीर मौर्य

अचिरावती - रावी नदी का पौराणिक नाम
देवल - आनिहल्वाड की राजकुमारी देवलदेवी