Wednesday 29 November 2023

इंद्रप्रिया (ऐतिहासिक उपन्यास) - सुधीर मौर्य


ऐतिहासिक उपन्यास लिखना यद्यपि एक कठिन कार्य है किंतु फिर भी मैं इसमें अत्यंत आनंद का अनुभव करता हूं। इस उपन्यास और इससे पहले लिखे गए मेरे सारे ऐतिहासिक और पौराणिक उपन्यास जिन्हें मैं जब लिख रहा था उस समय मैंने स्वार्गिक आनंद का अनुभव किया।
#इंद्रप्रिया वास्तव में मेरे लिए सिर्फ एक कथा या उपन्यास भर नहीं है अपितु यह दस्तावेज का एक हिस्सा है उस काल का जब भारत में मुगल सल्तनत अपने चरम पर थी। उस समय भारत पर मुगल बादशाह अकबर जिसे इतिहासकारों ने महान घोषित कर रखा है उसका अबाध शासन चालू था। मुगल बादशाह अकबर की महानता को महिमामंडन करने वाली अनेकों कहानियां उपन्यास लिखे गए। जब मैंने इस उपन्यास को लिखना आरंभ किया तो मेरे सामने कठिन चुनौती थी क्योंकि इस उपन्यास में मुगल बादशाह अकबर एक किरदार के रूप में उपस्थित था और मेरी लेखनी साक्ष्यों और तर्कों के आधार पर उसकी महानता को खंडित करने का प्रयास कर रही थी।
प्रस्तुत उपन्यास ओरछा की राजनर्तकी प्रवीण राय के जीवन पर आधारित है। वह प्रवीण राय जिनके ऊपर साक्षात सरस्वती का आशीर्वाद था, वह प्रवीण राय जिनके अंग में आम्रपाली का नृत्य निवास करता था, वह प्रवीण राय जिन्हे आचार्य केशव के शिष्या होने का गौरव हासिल था, वह प्रवीण राय जो ओरछा के राजकुमार इंद्रजीत के एकनिष्ठ प्रेयसी थी।
अपने काव्यचातुर्य, अपने नृत्य और अपनी प्रवीणता से प्रवीण राय ने ना केवल स्वयं को अमर कर दिया बल्कि उनके साथ-साथ उनके प्रेमी उनके पति राजकुमार इंद्रजीत का नाम भी अमर हो गया, ओरछा अमर हो गया।
प्रवीण राय की महानता केवल इतनी भर नही है बल्कि उन्होंने मुगल बादशाह कामुक अकबर के दरबार में जाकर अपने वाकचातुर्य से उसे पराजित किया। वह घटना भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम पृष्ठ है।
अब इस उपन्यास के बारे में ज्यादा कुछ ना लिखकर मैं सीधे ये उपन्यास अपने पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करता हूं और मुझे आशा है कि वह सदैव की भांति अपना प्रेम और स्नेह है मुझे प्रदान करेंगे।
महान ईश्वर को नमन करते हुए..
सुधीर मौर्य
कानपुर, उत्तर प्रदेश