मैने किया था इश्क़
कबूल करता करता हूँ मै
मैने भी तोड़े थे
चाँद तारे तेरे लिए
ख्यालो में ही सही
मैने भी लिखे थे प्रेम पत्र
खून की जगह स्याही से
क्योंकि मै जनता हूँ
चाँद तारे मेरी मिलकियत नहीं
और खून मेरा होकर भी
सिर्फ मेरा तो नहीं।
मैं नहीं करना चाहता
आकाश को सूना, चाँद - तारो के बिना
नहीं बहाना चाहता
रक्त की एक भी बूँद
प्रेम और जंग, किसी भी नाम पर
कबूल करता करता हूँ मै
मैने भी तोड़े थे
चाँद तारे तेरे लिए
ख्यालो में ही सही
मैने भी लिखे थे प्रेम पत्र
खून की जगह स्याही से
क्योंकि मै जनता हूँ
चाँद तारे मेरी मिलकियत नहीं
और खून मेरा होकर भी
सिर्फ मेरा तो नहीं।
मैं नहीं करना चाहता
आकाश को सूना, चाँद - तारो के बिना
नहीं बहाना चाहता
रक्त की एक भी बूँद
प्रेम और जंग, किसी भी नाम पर
मैं तो बस करता था प्रेम
मैं अब भी करता हूँ
और करता रहूँगा तुमसे प्रेम
जबकि मैं जनता हूँ
तुम्हे चाँद - तारे चाहिए
और तुम निकल गए
बहुत दूर
चाँद - तारो के लिए
ठुकरा कर प्रेम की स्याही।
--सुधीर
मैं अब भी करता हूँ
और करता रहूँगा तुमसे प्रेम
जबकि मैं जनता हूँ
तुम्हे चाँद - तारे चाहिए
और तुम निकल गए
बहुत दूर
चाँद - तारो के लिए
ठुकरा कर प्रेम की स्याही।
--सुधीर
सहज....सरल....सशक्त
ReplyDeletebahut aabhar
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