मेरा ख्वाब डूबने का नहीं
बल्कि मैं तैरना चाहता हूँ
तुम्हारी एक इंच की
नाव जैसी आँखों में
नहीं नहीं
मैं नहीं पीना चाहता
तुम्हारे चॉकलेटी होठो का रस
अपने होठो से
मैं तो चाहता हूँ महसूस करना
अपनी उंगलियो की पोरों से
तुम्हारे लरजते होठो की सिहरन
मैं नहीं पीना चाहता
तुम्हारे चॉकलेटी होठो का रस
अपने होठो से
मैं तो चाहता हूँ महसूस करना
अपनी उंगलियो की पोरों से
तुम्हारे लरजते होठो की सिहरन
नहीं नहीं
मैं नहीं हांसिल करना चाहता
तुम्हारा गुदाज जिस्म
मैं तो चाहता हूँ
तुम्हारे देह की गर्मी
अपनी उदास रातो के लिए
मैं नहीं हांसिल करना चाहता
तुम्हारा गुदाज जिस्म
मैं तो चाहता हूँ
तुम्हारे देह की गर्मी
अपनी उदास रातो के लिए
कहो प्रिये !
तुम भी अपनी मन की कहो
फिर न कहना कि,
ये समाज पुरुषो का है
जहाँ स्त्री अपनी बात कह नहीं सकती।
तुम भी अपनी मन की कहो
फिर न कहना कि,
ये समाज पुरुषो का है
जहाँ स्त्री अपनी बात कह नहीं सकती।
मैं जनता हूँ
तुम करना चाहती हो
प्रणय निवेदन मुझसे
फिर इस फागुन की बयार में
खोल दो दिल की गिरह।
तुम करना चाहती हो
प्रणय निवेदन मुझसे
फिर इस फागुन की बयार में
खोल दो दिल की गिरह।
--सुधीर
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