Sudheer Maurya
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कल 24 फ़रवरी को गरीब लड़की रिंकल को कैदी का जीवन बिताते हुए एक साल पूरा हो जायेगा। वो अब तक कैदी है, वो आज़ाद होगी भी या नहीं, मालूम नहीं। हम उसके लिए शायद बहुत कुछ कर न पाए, उसकी आज़ादी के लिए पुरे प्रयास हम न कर सके सो अगर वो कैदी है तो उसे कैद करने वालो के साथ - साथ कुछ दोषी तो हम भी हैं। उसकी आज़ादी के वास्ते जिस सपोर्ट की दरकार थी वो हुआ नहीं।
फेक्ट्री, आफिस, काम, मनोरंजन और फेसबुक और ऐसी ही गत्विधियों में मेरा विगत एक साल केसे निकल गया पता ही नहीं चला। बहुत से लोग एसे भी हैं जिन्होंने अपने दिन फाइव स्टार होटल की चकाचौंध और रातें हाथ में व्हिस्की का गिलास पकडे नाईट क्लब में गुजारी होंगी।
- ये है हमारी विकसित होती सभ्यता और व्यवस्था की बानगी।
- पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस विकसित होती व्यवस्था में पराधीन हैं, गुलाम हैं। उन पर पाबन्दी लगा दी गई है। अब वो अपनी मर्ज़ी से सांस भी नहीं ले सकते, हवा अब उनके बदन को छु नहीं सकती, सितारों की रौशनी उनके छत पे आकर उनके सर पर आशीष नहीं दे सकती। अब वो अपनी माँ की गोद में सर रख के सो नहीं सकते,अब वो अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध सकते।
- क्यों ? क्योंकि अब वो पराधीन हैं, कैद में हैं।
- रिंकल कुमारी - मस्ती से पार्टी में झूमते हुए लोगो, देश के कर्णधारों, मानवाधिकार संगठनो के सड़े हुए अध्क्षो तुम सब इस एक लड़की के दर्द का अनुमान क्या लगा सकते हो। जो गुज़रे एक साल से एक प्राइवेट जेल में बंद है। जिसके बदन की नीलामी उसे कैद करने वाले रात - दिन कर रहे हैं। जिसका हर तीसरे महीने अबार्शन काराया है जाता है, ताकि उसे सेक्स के लिए तैयार रखा जा सके।
तसलीमा नसरीन के उस बयां पर जिसमे वो कहती है उनका योन शोषढ हुआ पूरा मीडिया और सभ्य समाज उनके लिए आवाज़ उठता है, पर इस लड़की के लिए नहीं क्योंकि वो अपने देश में एक गरीब अल्पसंखक है। रिंकल को तसलीमा से भी बहुत उम्मीदे होंगी की वो उस मासूम के लिए आवाज़ जरुर उठाय्न्गी। मुझे भी तसलीमा नसरीन से बहुत उम्मीद है की वो उस लड़की की आज़ादी के लिए आगे आयंगी।
सुन्दर जवान लडकियों को हवस के लिए इस्तेमाल करने का खेल सिंध में सन सात सौ बारह से चालु है। यहाँ की भोली - भली मासूम लडकियों को अगुवा करके उनका योंन शोषढ़ निरंतर जारी है। मनीषा, मूमल रिंकल, विज्यन्ति, आशा और लता न जाने कितनी मासूम इस फ़ेअरिस्त में शामिल हैं जिन्हें जबरन सेक्स स्लेवरी के लिए मजबूर किया गया।
में भारत के माननीय प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति से अपील करता हु की वो इस मासूम को रिहाई के लिए कोई ठोस कदम उठाये। में आज की चर्चित लेखिकायं मनीषा कुलश्रेष्ठ, तसलीमा नसरीन, अरुंधती रे और सुधा मूर्ति से भी अपील करता हूँ की वो इस लड़की के लिए कुछ तो करे आखिर वो भी उन्की तरह एक स्त्री जाति से है।
ऐ रिंकल तेरी उम्मीदों ने अभी दम नहीं तोडा है, तेरी रिहाई के लिए असद चंडियो, राज कुमार, वेंगस, मारवी सरमद, सुनील दिक्षित, राकेश लखानी जैसे लोग निरंतर संघर्ष कर रहे है और यही हमारी उम्मीद है।
तू हौसला रख रिंकल तेरी रिहाई होगी - जरुर होगी।
सुधीर मौर्य 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
209869
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