Saturday, 2 March 2013

हो हिंदु हवा (वो हिन्दू थे)

रिंकल कुमारी को समर्पित मेरी कविता 'वो हिन्दू थे' का सिंधी और सिंधी अरेबिक अनुवाद मेरे मित्र और मशहूर सिंधी बलागर श्री राकेश लखानी ने किया है।  इस कविता को नई दिल्ली से प्रकाशित अखबार लोकसत्य ने प्रकाशित किया। 
28 फ़रवरी 13 के लोक्सत्य में कविता - वो हिन्दू थे  
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मेरी चर्चित कविता जो मेने रिंकल को समर्पित की है, उसका सिन्धी  और अरेबिक सिन्धी अनुवाद मेरे मित्र और मशहूर सिन्धी ब्लागर श्री राकेश लखानी ने किया है। मेरी इस कविता को नई दिल्ली से प्रकाशित अखबार लोकसत्य ने भी प्रकाशित किया है।
प्रस्तुत है कविता 'वो हिन्दू थे' देवनागरी, सिन्धी और अरेबिक सिन्धी में।

हो हिंदु हवा
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सुधीर मोर्य इअं तह पेशे सां इंजिनियर आहे। यू पी जो रहिंदड सुधीर कुमार हिंदीअ जो लेखक तोडे कवि रहयो आहे हेल ताईं संदुसि हेठि ड॒सयलि किताब शाई थी चुका आहिनि
कविताउंआह, सम्स, हो ना हो
कहाणयूंअधुरे पंख
नावल- ऐक गली कांपूर की, किस्से शंकर प्रसाद के, अमलताशा के फूल,
मजमूनबुद्ध के संवाद
पेश कजे थी संदुसि कविता जेका संसदुसि राय सा हित सिंधी में उलथो कजे थीsudheer

हो हिंदु हवा
हिंनिन पहिजे सुरन खे
जोडो समझी
अपनायो
संदुनि घरनि में घुरी आयलि
माण्हूं
खेनि काफिर करार डि॒ञो
छो तह
हो हिंदु हवा
हूननि
यूनन मां आयलि घोडनि जो
फकरु
चूर चूर करे छडो॒
सभयता ताईं
जन जे सबब
हिन काईनात ते जन्म वरतो
हो हिंदु हवा
जिनिं
तराईल जे मैदान में
खिलि खिलि
शिक्सत खादल
वेरिन खे
हयाती डि॒ञी
हू हिंदु हवा
जिन जा मंदिरअ
हिन काहि आयलि डो॒हिनि
नासु करे छड॒या
जनि जूं गुलनि जेडहयूं
कुमारियूं खे
जबरनि अगवा करे
खंबे वया
जिन ते
संदुनि घरनि में
संदुनि जे इशवर
जी पूजा ते
जिजिया मडयो वयो
हो हिदु हवा
हा हो
हिंदु हवा
जिनि हलदीघाटी में
मूल्क जी शान
जे लाई
पहिजो रत
वहाईंदा रहया
जिन जा सिकिंदा औलाद
घाऊ जा फुलका खाई
खुश हवा
हू हिंदु हवा
हा हो हिंदु हवा
इनलाई
संदुनि नयाणियूं जी
को मोल नाहे
अजु॒ भी
पहिंजी जमिन ते
रहिंदा आहिनि
इन जमिन जो नाऊं
पाकिस्थान आहे
हाणे संदुनि
मात्रभूमि जो नाऊं
पाकिस्तान आहे
इनलाई
हाणे खेनि उते
इंसाफ
घुरण जो हकु नाहे
हाणे संदुनि
आवाज
बुधण में नह इंदी आहे को
दबा॒ई वेंदी आहे
अजु॒ संदुनि नयाणयूं
इन ढप में रहिंदयूं आहिनि
अगवा थिअण जो
इंदड वारो हूनिनि जो आहे
छाकाण तह मजलूम
मां
को को
रिंकल खां फर्याल
बणायो वेंदो आहे
इंनलाई
जनि जूं नयाणयूं आहिनि
से हिंदु आहिनि
ऐं संदुनि
वडा॒
हिंदु ह

राकेश लखानी 
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ر مورته ايئن ته پيشي سان انجنيئر آهي. هندستان جي صوبي اتتر پرديش جو ڄائو سڌير ڪمار ناليرو هندي ڀاشا جو ليکڪ ۽ ڪوي رهيو آهي. هيل تائين هاٺئون ڏسيل ڪتاب شايع ٿييل آهي .
ڪويتائون : آهه !، لمس ۽ هو نه هو
ڪهاڻيون : اڌُري پنک
ناول: ايڪ گلي ڪانپور ڪي ، ڪصسي شنڪر پرساد ڪي ، املتاشا ڪي ڦول.
امضمون: بُڌ ڪي سنواد

پيش آهي سندن ڪويتا جيڪا مون هندي ۾ لکي وئي ئي هت سنڌي ۾ الٿو ڪري پيش ڪجي ٿي.



هو هندو هئا 





هنن پنهنجي سُررن کي
جوڙو سمجھي
اپنايو
سندن گھرن ۾ گھُري آيل
ماڻهون
کين قافر ڪرار ڏنو
ڇو ته
هو هندو هئا

هنن
يونان مان آيل گھوڙن جو
فڪر
چُر چُر
ڪري ڇڏيو
سڀيتا تائين
جن جي سبب
هن ڪاينات ۾ جنم ورتو
هو هندو هئا

جنهن
ترائين جي ميدان ۾
کلي کلي
شڪست کادل
ويرِن کي
حياتي ڏني
هو هندو هئا

جن جا مندر
ڪاهي آيل ان ڏوهاڙن
ناس ڪري ڇڏيا
جنهن جون گلن جيڙهيون
ڪماريون کي
جبرن اغوا ڪري
کنڀي ويا
جن تي
انهن جي گھرن ۾
انهن جي ئي اشور
جي پوجا تي
جيجئا مڙيو ويو
هو هندو هئا

ها هو
هندو هئا
جن هلدي گھاٽي ۾
ملڪ جي شان
جي لاءِ
پنهنجو رت
وهائيندا رهيا
جنهن جا سڪلندا اولاد
گھاهءُ جو فلڪو
کائي
خوش رهيا
ڇو ته
هو هندو هئا

ها هو هندو آهن
انلاءِ
سندن نياڻيون جي
اسميتا جو
ڪو مول ناهي
اڄ به
پنهنجي زمين تي
رهندا آهن
ان زمين جو نانءُ
پاڪستان آهي

هاڻي سندن
ماتر ڀومي جو نانءُ
پاڪستان آهي
انلاءِ
هاڻي کين اتي
انساف
گھرڻ جو حق ناهي
هاڻي سندن
آواز
ٻُڌڻ ۾ نه ايندي آهي
“دٻائي ويندي آهي ”
اڄ سندن نياڻيون
ان ڊپ ۾ جيئنديون آهن
اغوا ٿيئڻ جي
ايندڙ وارو هنن جي آهي

ڇاڪاڻ ته مظلومن
مان
روڄ
ڪو نه ڪو
رنڪل کان فريال
جبرن
بڻايو ويندو آهي
انلاءِ

جن جون نيانيون آهن
سي هندو آهن
۽ سندن
وڏا
هندو هئا

ڪوي سڌين موريه “سڌير” . (Twitter Handle : @SudheerMaurya)
الٿو ڪندڙ راڪيش لکاڻي


                                                                      रिंकल कुमारी 
                                                                    ............................                                                              




वो हिन्दू थे।
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उन्होंने विपत्ति को 
आभूषण की तरह
धारण किया 
उनके ही घरों में आये 
लोगों ने 
उन्हें काफ़िर कहा 
क्योंकि 
वो हिन्दू थे।

उन्होंने 
यूनान से आये घोड़ो का 
अभिमान 
चूर - चूर 
कर दिया  
सभ्यता ने 
जिनकी वजह से 
संसार में जन्म लिया 
वो हिन्दू थे।

जिन्होंने 
तराइन के मैदान में 
हंस - हंस के 
हारे हुए 
दुश्मनों  को 
जीवन दिया 
वो हिन्दू थे।

जिनके मंदिर 
आये हुए लुटेरो ने 
तोड़ दिए 
जिनकी फूल जैसी 
कुमारियों को 
जबरन अगुआ करके 
हरम में रखा गया 
जिन पर 
उनके ही घर में
उनकी ही भगवान् 
की पूजा पर 
जजिया लगया गया 
वो हिन्दू थे।

हा वो 
हिन्दू थे 
जो हल्दी घाटी में 
देश की आन 
के लिए 
अपना रक्त 
 बहाते रहे 
जिनके बच्चे 
घास की रोटी 
खा कर 
खुश रहे 
क्योंकि 
वो हिन्दू थे। 

हाँ वो हिन्दू हैं 
इसलिए 
उनकी लडकियों की 
अस्मत का 
कोई मोल नहीं 
आज भी 
वो अपनी ज़मीन 
पर ही रहते हैं 
पर अब 
उस ज़मीन का 
नाम पकिस्तान है।

अब उनकी 
मातृभूमि का नाम 
पाकिस्तान है 
इसलिए 
अब उन्हें वहाँ 
इन्साफ 
मांगने का हक नहीं 
अब उनकी 
आवाज़ 
सुनी नहीं जाती 
'दबा दी जाती है'
आज उनकी लड़कियां 
इस डर में 
जीती हैं 
अपहरण होने की 
अगली बारी उनकी है।

क्योंकि  उन मासूमो 
में से 
रोज़ 
कोई कोई 
रिंकल से फरयाल 
जबरन 
बना दी जाती हैं 
इसलिए 

जिनकी बेटियां हैं 
वो हिन्दू है 
और उनके 
पुर्वज 
हिन्दू थे।     
     

 Sudheer Maurya ‘Sudheer’
Ganj Jalalabad, Unnao
209869  


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