Saturday, 9 February 2013

ऐ मेरे शास्ता



Sudheer Maurya
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ऐ  मेरे शास्ता    
तुझे प्रणाम 
इसलिए नहीं 
की तू शास्ता है मेरा 

अपितु इसलिए 
की  तूने 
प्रकाश दिखाया है 
मेरे अँधेरे 
जीवन को          
   
सुधीर मौर्य 'सुधीर'
गंज जलालाब्द उन्नाव 
209869    

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