Tuesday, 29 January 2013

कौन कहता है ये इक्कीसवी सदी है..


Sudheer Maurya 'Sudheer'
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आज कल बलात्कारियो को क्या सजा मिलनी चाहिए, ये चर्चा बड़े जोरो पर है। जहाँ तक में मानता हूँ ये चर्चा का विषय होना ही नहीं चाहिए, बलात्कारी को हर हाल में अधिकतम सजा मिलनी ही चाहिए।
बलात्कारी, नाबालिग हो सकता है में इस बिंदु को सिरे से ही खारिज करता हु। कोई भी व्यक्ति जब वो किसी से जबरन सेक्स करता है तो ये क्रिया उसकी पूर्ण वयस्कता को दर्शाती है।     
अगर बलात्कारी को नाबालिग समझ कर सजा में रियायत दी जाती है, तो क्या ये इस बात का सूचक नहीं है की जिन नाबालिग लडकियों के साथ बलात्कार हुआ, उनके बलात्कारी और भी अधिक सज़ा के हक़दार हे।
पकिस्तान में 6 साल की लड़की वैजन्ती के साथ हुए बलात्कार को हम किस श्रेणी मे रखेंगे। उसके अपराधियों को अधिकतम सज़ा क्या नहीं मिलनी चाहिए। बलात्कार तो बलात्कार है वो किसी के भी साथ हुआ हो, पर एक 6 साल की बच्ची के साथ हुए बलात्कार को हैवानियत ही  माना जायेगा।
अगर कानून, नाबालिग बलात्कारी की सजा में रियायत बख्शता है, तो क्या उस कानून को नाबालिग के साथ हुए बलात्कार करने वाले को तुरंत 
ज्यादा से ज्यादा सज़ा नहीं देनी चाहिए।
रिंकल कुमारी और वेयाजंती के उदहारण हमारे सामने है इन नाबालिग लड़कियों के बलात्कारी खुला घूम रहे हैं किसी और को अपना शिकार बनाने के लिए। हम चुप है, सरकार और कानून चुप हे, अंतररास्ट्रीय मानवाधिकार चुप है, ये बहुत है बलात्कारियों का हौसला बढाने के लिए। सच तो ये है इन शर्मनाक घटनाओं को   रोकने के लिए विश्व्यापी पहल की जरुरत है।
आओ हम सब मिलकर लड़कियों पर हो रहे सेक्स आत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाये। नहीं तो न जाने कितनी रिंकल, दामनी और वेय्जंती सिसकती रहेगी और इनके अपराधी खुला घूमते रहेगे। किसी और पर अत्याचार करने के लिए।

सुधीर मौर्य 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव 
भारत 
209869             

         

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