Friday, 25 January 2013

समाज और स्त्रियों का जबरन अपहरण..


Sudheer Maurya 'Sudheer'
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संसार का निर्माण होते ही शायद स्त्रियों को पुरषों का गुलाम समझा जाने लगा।एक ही स्थान से, एक ही प्रक्रिया से पैदा होने के बावजूद उन्हें कभी भी पुरषों के समकक्ष स्थान  प्राप्त न हो सका।    

भारतीय संस्क्रीत में स्त्रियों को माँ , बहन और बेटी के रूप में पूजनीय माना गया है। पर  पत्नी के रूप उसे कभी भी पुरषों ने अपने बराबर नही स्वीकारा। पुरषों में बहुपत्नी रखने का चलन रहा और उनकी कई पत्निया के साथ - साथ कई - कई रखेले भी होती थी। सामन्ती पुरष पराई स्त्रियों का हरण करके उनका बलात्कार करते और फिर उन्हें अपने रनिवास योनि सुख की प्राप्ति के लिए रख लेते। भारत में मुस्लिम आकर्मण के साथ ही स्त्रियों और लडकियों के अपहरण और उन्हें रखेल बनाने के आंकड़े में बहुत तेजी से इजाफा हुआ।

स्त्र्यियो को पुब्लिक प्लेस पर भी काफी समय पहले से अपमानित किया जाता रहा है। द्रौपदी इसका ज्वलंत उदहारण है। ये बात अलग है वो अपने एक मित्र कृष्ण की मदद से बच  गई। वरना पुब्लिक प्लेस पर अपने परिवार के तमाम लोगो की मौजूदगी में ही उसका सामूहिक बलात्कार होना तय था। हा ये बात अलग है की बाद में द्रौपदी के परिवार वालो ने उसके अपमान का बदला कुरुक्षेत्र की ज़मीन को लाल करके लिया।

लगभग द्रौपदी के काल में ही, उससे कुछ वर्ष पहले ही अम्बा नाम की एक राजकुमारी का भी अपहरण करके उसे अपमानित किया गया। उसका बलात्कार तो नहीं हुआ पर जबरन अपहरण की पीड़ा वो सारी उम्र झेलती रही। इस जबरन अपहरण की वजह से उसका पुरुष मित्र उसे छोर कर चला गया।    

इन सब घटनाओं से पहले सीता के अपहरण की घटना तो सबको ज्ञात ही है। उन्हें भी इस जबरन अपहरण का दंश सारी उम्र झेलना पडा और वो कभी भी सुखी जीवन न जी सकी।

जेसा की ऊपर मेने लिखा की भारत में मुस्लिम आकर्मण के साथ ही लडकियों के अपहरण में बड़ी तेजी आई। मुस्लिम लोगो को दुसरे की स्त्रियों और क्वारी लडकियों को अपनी पत्नी या रखेल बनाने में एक विशेष सुख हासिल होता था। अल्लुद्दीन ने गुजरात की रानी कमला देवी और वह की राजकुमारी देवल देवी को जबरन अपने हरम में रखा। और उन्हें योनि दासी के रूप में भोगा। ये बात अलग है की राजकुमारी देवल देवी ने कुछ समय बाद ही अपने इस अपमान का बदला अल्लुद्दीन के सरे परिवार को ख़त्म करके ले लिया। चित्तोड़ की रानी पद्मनी को अलाउद्दीन के हाथो अपहरण होने से बचने के लिए आत्महत्या करनी पड़ी।

 अकबर ने अपने और अपने शहजादों के लिए हिन्दू पत्निया संधि में प्राप्त की पर कभी भी अपने घर की किसी लड़की की शादी उसने किसी हिन्दू राजकुमार से नहीं की। ये बात अलग है की कुछ समय बाद इस मुगुल खानदान की शहजादियो की अस्मत, अफगान आक्र्मंकारियो और अंग्रेजो ने तार - तार कर दी। 

आज हम कहने को सभ्य समाज में जी रहे है पर पिछले साल पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में हुए एक हिन्दू लड़की रिंकल कुमारी के जबरन अपहरण ने हमे हिला के रख  दिया। रिंकल चीख -  चीख के अपने माँ - बाप के सतह जाने की गुहार लगाती रही पर उसकी आवाज़ को जबरन दबा दिया गया। वो आज भी एक योनि दासी का दंस झेल रही है। और न्याय की प्रतीक्षा कर रही है। पर क्या पुरुष प्रधान संसार में ये मुमकिन है। और फिर उस जगह जहाँ शिक्षा के लिए आवाज़  उठाने के लिए मलाला युसुफजई को सरफिरे गोली मार देते है।

लडकियों के जबरन अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन, जबरन विवाह और भोग की वस्तु से बचाने के लिए एक विश्व्यापी सार्थक पहल की जरुरत है। ये पहल कोन  करेगा ? शायद हम लोग। पर जल्दी। कही बहुत देर न हो जाये।

सुधीर 'मौर्य सुधीर'
गंज जलालाबाद उन्नाव 
209869         

   


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