अघोषित प्रेम की खामोश घोषणा
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वो एक मेघ भरा दिन था ।
घटायें बेकाबू होकर धरती को चूमने को बेक़रार थी और धरती हवा बनकर घटाओं को चूमने को। हवाएं क्लासरूम के दरीचे की राह से नाज़ की ज़ुल्फ़ों से खेलने की ख्वाहिशमंद और नाज़, वो मौसम की इस जुगलबंदी पे अपनी युगल आँखों से मुझपे बरसने की तमन्ना लिए इश्क़ की राह की राही बनना चाहती थी।
अचानक बिजली कड़की तो उसकी रौशनी दरीचे से मेरे करीब आई और ठीक उस वक़्त नाज़ के होठों से चीख निकली 'पुरोहित।' सारा क्लास टीचर सहित उसकी इस परवाह भरी पुकार पर चौंक पड़े और मै, मेरी ओर तकती नाज़ के थरथराते जिस्म को देखकर खुद थरथरा उठा।
नाज़ के होठों ने पहली बार मेरा नाम लिया था। वो भी सरेशाम, सरेआम।
उस रोज़ मेरी परवाह ने नाज़ को दीन - दुनिया से बेपरवाह बना दिया। वो जब क्लासरूम से बाहर निकली तो अपना छाता मेरे पास रख गई।
यूँ उस दिन उस लड़की ने सरेआम ख़ामोशी से अपनी मुहब्ब्त का इज़हार कर दिया।
सच मुहब्ब्त का यूँ ख़ामोशी से इज़हार करना भी तहज़ीब का एक सलीका होता है।
और उस रात वो सलीकेमंद लड़की मेरे ख्वाब में अपने चेहरे पे अपने हाथ का नक़ाब लिए कई बार आई जिसे मै ख्वाबो - ख्यालो में नाज़ कहने लगा था।
--सुधीर मौर्य
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वो एक मेघ भरा दिन था ।
घटायें बेकाबू होकर धरती को चूमने को बेक़रार थी और धरती हवा बनकर घटाओं को चूमने को। हवाएं क्लासरूम के दरीचे की राह से नाज़ की ज़ुल्फ़ों से खेलने की ख्वाहिशमंद और नाज़, वो मौसम की इस जुगलबंदी पे अपनी युगल आँखों से मुझपे बरसने की तमन्ना लिए इश्क़ की राह की राही बनना चाहती थी।
अचानक बिजली कड़की तो उसकी रौशनी दरीचे से मेरे करीब आई और ठीक उस वक़्त नाज़ के होठों से चीख निकली 'पुरोहित।' सारा क्लास टीचर सहित उसकी इस परवाह भरी पुकार पर चौंक पड़े और मै, मेरी ओर तकती नाज़ के थरथराते जिस्म को देखकर खुद थरथरा उठा।
नाज़ के होठों ने पहली बार मेरा नाम लिया था। वो भी सरेशाम, सरेआम।
उस रोज़ मेरी परवाह ने नाज़ को दीन - दुनिया से बेपरवाह बना दिया। वो जब क्लासरूम से बाहर निकली तो अपना छाता मेरे पास रख गई।
यूँ उस दिन उस लड़की ने सरेआम ख़ामोशी से अपनी मुहब्ब्त का इज़हार कर दिया।
सच मुहब्ब्त का यूँ ख़ामोशी से इज़हार करना भी तहज़ीब का एक सलीका होता है।
और उस रात वो सलीकेमंद लड़की मेरे ख्वाब में अपने चेहरे पे अपने हाथ का नक़ाब लिए कई बार आई जिसे मै ख्वाबो - ख्यालो में नाज़ कहने लगा था।
--सुधीर मौर्य
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26 -05-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2354 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
आभार सर।
Deletebhut badhiya likha hai apne
ReplyDeleteEbook Publishing company in India
ji sir, thanks me bhi ek e book publish karwana chahta hu
Deleteसुधीर जी आपकी यह भरे ख़्वाब कि रचना अत्यंत रोचक व ख़ूबसूरत है......ऐसे ही प्यार भरी रचनाये आप क्यों न हम के पाठकों के लिए भी शब्दनगरी में प्रकाशित करें......
ReplyDeleteji sir jarur..
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