Wednesday 3 June 2015

खेल - सुधीर मौर्य

तूने खेला था
वासना का खेल
ओढ के
प्यार की चादर
और डसा था
अपनी आंखो से
इश्क के फरिश्तों को


उन फरिश्तो के होठो से
निकली आहो ने 
बनाया था एक चित्र 
जिसपे लिखा था 
प्यार के देवता ने
तेरे नाम के साथ
फरेब की देवी.
-- सुधीर मौर्य

4 comments:

  1. वाह ... प्रेम का खेल खेलने वालों का अंजाम ऐसा हो होता है ...

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  2. बहुत बढ़िया

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