अतीत और वर्तमान
की कड़ियों को
मिलाकर एक सशक्त
कथानक के निर्माण
करने में कथाकार डाक्टर अर्चना
प्रकाश को महारत
हासिल है। लेखिका का प्रस्तुत
कहानी संग्रह दुष्यंती
फेरे इसका ज्वलंत
उदहारण है।
संग्रह की मुख्य
कहानी दुष्यंती फेरे
लेखिका की सर्वश्रेष्ठ
रचना है। इस कहानी
में लेखिका ने
नायक सिद्धांत और
नायिका संजना को लेकर
जिस ताने बाने
को लेकर कथानक
का सृजन किया
है वो अभूतपूर्व
है। लेखिका ने
अपने संग्रह में
उन तमाम सामाजिक
मुद्दो को सजीवता
से उठाया है
जो समाज के
लिए नासूर बनते
जा रहे है।
कहानी वापसी में
अर्चना प्रकाश जी ने जिस
तरह से लव
जिहाद के मुद्दे
को सजीव किया
उसके लिए वे
धन्यवाद की पात्र
है। इसके अतरिक्त
कहानी उसके बाद
में, उन्होंने सामूहिक बलात्कार की
झकझोर देने कथानक
का चित्रण किया
है। समाज के
अन्य मुद्दे जैसे
- ढोंगी साधुओं पे भी
जम कर प्रहार
किया गया है।
लेखिका की कहानी
सिद्धिप्रभा स्त्री विमर्श के
नए आयाम स्थापित
करेगी।
कुल जमा अगर
कहे दुष्यंती फेरे
ऐसा कहानी संग्रह
है जिसके पैन
पलटते ही आप
वर्तमान में अतीत को
भी जिन्दा होते
पायगे। मैने
ऐसा ही किया
और ये सचमुच
अनोखा अनुभव है। अब
आपकी बारी है।
शुभकामनाये।
सुधीर मौर्य
अम्बरनाथ, मुंबई
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (20-06-2015) को "समय के इस दौर में रमज़ान मुबारक हो" {चर्चा - 2012} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
bahut dhanywad sir
Deleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
aabhar, ji jarur..
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