Tuesday 15 November 2016

नाम तुम्हारा टुनमुन है (बाल कविता) - सुधीर मौर्य

घर के पूरे आँगन में
तुम हौले - हौले चलते हो
भईया दीदी के संग अब तुम
उनके खेल खेलते हो
बच कर मम्मी से अब
घर के बाहर आ जाते हो
अपनी अम्मा की खांसी की
हँस - हँस नक़ल बनाते हो



सबसे ज्यादा गोद तुम्हे
बड़े पापा की  भाती है
ऐ बी  सी दी कहते हो जब
बुआ तुम्हे पढ़ाती है
अब तक मुझसे लाल तुम्हारी
शायद थोड़ी अनबन है
तुम हँसते दीपक मेरे घर के
नाम तुम्हारा टुनमुन है।
(मेरे बेटे के लिए)
--सुधीर मौर्य

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