Monday, 14 November 2016

पहला शुद्र (ऋग्वैदिक कालीन उपन्यास) - सुधीर मौर्य

इस धरती पर कुछ वीर ऐसे भी हुए जिन्हें इतिहास ने कभी याद रखना नहीं चाहा। और वे गुमनाम ही रहे।


दाशराज युद्ध का महानायक और दिवोदास पुत्र सुदास जिसने अनार्यों से भीषण संघर्ष के बाद सप्तसैंधव को आर्यवर्त का नाम दिया, जमदग्नि पुत्र परुशराम  से कहीं अधिक पराक्रमी और कोशल नरेश  राम से कहीं अधिक यशश्वी था। परन्तु समय का पहिया कुछ ऐसा घूमा कि वह एक महान योद्धा होकर भी अपने सबसे करीबी और विश्वासपात्रों के षड्यंत्र के आगे टिक न सका। ...और उस षड्यंत्र ने उसे आर्यों के एक महान प्रतापी राजा से बना दिया - पहला शूद्र। 
--सुधीर मौर्य 

1 comment:

  1. सर ,
    मैंने आपकी किताब पहला शूद्र का प्रथम खंड पढ़ा । मैं इस किताब की जितनी भी प्रशंसा करूँ काफी कम होगा । यह किताब मेरी पहली ऐसी किताब बनी जिसे अन्य कार्य करते हुए मैं 7 घंटे में पूरा पढ़ गया । पढ़ने के बाद मन अशांत से हो गया कि इतना बड़ा षडयंत्र रचा गया जिसे हम 3500 वर्ष बाद अब भी भोग रहे हैं ....। साथ ही मैंने इसके दूसरे खंड की खोज internet पर शुरू की किन्तु प्राप्त नहीं हो सका ।अतः आपसे अनुरोध है कि द्वितीय खंड को उपलब्ध कराने की कृपा करें ।
    आपका प्रशंसक एवं पाठक
    डॉ. कुमार दीनबन्धु
    SR cum SMO
    Govt.of bihar
    Ph- 7033990077

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