Tuesday 15 October 2013

उपन्यास 'देवल देवी' लिखने की प्रेरणा 'रिंकल' के संघर्ष से मिली - सुधीर मौर्य

पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में २४ फ़रवरी २०१२ को एक ह्रदयविदारक घटना घटी। इकिसिवीं शताब्दी में जब सारा विश्व सभ्य होने का दंभ भर रहा था उस समय सिंध के मीरपुर मेथेलो से एक अल्पवयस्क और उक्त देश की अल्पसंख्यक लड़की का जबरन अपहरण करके उसका जबरन धर्म परिवर्तन किया गया। उस लड़की को जबरन बलत्कृत करके उस देश के बहुसंख्यक समुदाय के व्यक्ति से निकाह के लिए बाध्य किया गया। उस लड़की का नाम रिंकल है। वो लड़की और उसके अभिवावक छोटी अदालत से लेकर सर्वोच्च न्यायलय तक की गुहार लगाते रहे पर उनकी आवाज़ को जबरन दबा दिया गया। वो लड़की रिंकल कुमारी आज भी अपने अपहरणकरताओ की कैद में है और दासी सा जीवन जीने को बाध्य है। ऐसा भी नहीं कि उसकी रिहाई के लिए आवाज़ बुलंद नहीं हुई। बहुत से लोगो ने उसकी रिहाई के लिए संघर्ष किया। अमेरिका से सुनील दिक्षित, पकिस्तान की वेंगस और मारवी,भारत से राकेश लखानी और खुद मैने अपने लेखों और और अन्य गतविधियों से रिंकल कुमारी के जबरन अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर संघर्ष किया पर नतीजा ढ़ाक के तीन पात रहा। पिछले कुछ दिनों में अकेले पाकिस्तान में ही जबरन धर्म परिवर्तन के कई केस सामने आये हैं। फिर सारे विश्व में ऐसे कितनी घटनाएं होती होंगी जो प्रकाश में नाइ आ पाती। ऐसी घटनाओ से हमारा देश भारत भी अछुता नहीं है। जब आधुनिक सभ्य्काल में योनि शोषण के लिए लड़कियों का अपहरण किया जा रहा है और हम शोसल नेटवर्किंग साईट से लेस होकर भी रोक नहीं पा रहें हैं तो सोचिये मध्यकाल में कितनी लड़कियों को जबरन सेक्स स्लेव बनया गया होगा। युद्ध में जीती गई संभ्रांत परिवार की लड़कियों के साथ और कठोर व्यवहार किया गया। देवलदेवी भी इसका शिकार हुई पर भाग्य से उसने अपना प्रतिशोध ले लिया। पर उन हजारो - हजार का क्या जो योनि दासी बनकर सारी उमर रोती - सिसकती रही।
रिंकल कुमारी के आपह्रण और न्याय के लिए दिखाए गए उनके अदम्य साहस ने मुझे उपन्यास 'देवल देवी, लिखने की प्रेरणा दी। मेरी ये कृति समर्पित है बहादुर लड़की 'रिंकल कुमारी' को। --सुधीर मौर्य

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