Saturday, 28 September 2013

ये प्रेम और सदभाव नहीं - सुधीर मौर्य

मेरे एक दोस्त ने मेरी एक पोस्ट के कमेन्ट में लिखा की इस्लाम कभी हिंसा नहीं सिखाता, इसका इतना फैलाव इसके प्रेम और सद्भाव की वजह से हुआ और इस्लाम ने जो जंगे लड़ी वो आत्मरक्षा में लड़ी। चाह कर भी मे सहमत नहीं हो पा रहा हूँ मित्र के कमेन्ट से। काश मेरे मित्र की बात सच होती और हम इस्लाम के प्रेम और सदभाव के रूप के दर्शन कर पाते। मेरे मित्र ने की नज़र में प्रेम और सदभाव की परिभाषा क्या है, मै समझ नहीं पाया। क्या मुहम्मद बिन कासिम तलवार के जोर पर सिंध में प्रेम और सदभाव फैलाने आया था, और बिन कासिम सिंध में कौन सी आत्मरक्षा की लड़ाई लड़ रहा था ? सारी दुनिया जानती है महमूद गजनवी, मुहम्मद गोरी, तैमूर, बाबर, नादिरशाह और अब्दाली ने कैसा प्रेम और सदभाव फैलाया। कोई मुझे बताये इनमे से कौन आत्मरक्षा की लड़ाई लड़ रहा था? सब धर्मो में कुछ न कुछ बुराइया रहती ही हैं, जरुरत है वक़्त के साथ उन बुराइयों से पीछा छुड़ा लेने की। अफ़सोस इस्लाम को छोड़ कर सब ने इसमें पहल की पर इस्लाम अभी भी अपनी दकियानूसी बातों से आज़ाद नहीं हो पाया। अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है वो अपनी बुराइया दूर कर सकते हैं जरुरत है एक सकारात्मक सोच की। 

1 comment:

  1. आपके विचारों से सहमत हूँ।।

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