अब सरहद पार वाले इतने भी चूतिये नहीं कि हमें चूतिया न समझे। वो जानते हैं हमें पृथ्वीराज चौहान वाली सदुगुण विक्रति की बीमारी है जिसका इलाज हम बीते आठ सौ सालो में भी नहीं कर पाये हैं। हम पानीपत के दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने की कभी सोच ही नहीं सकते जबकि वो तराइन की हार को भूल नहीं पाते। हम पाकिस्तान के हर हमले या पाकिस्तान प्रायोजित हर आतंकवादी हमले के बाद या तो सिर्फ भाषणबाज़ी करते हैं या फिर त्राहि माम त्राहि माम करते हुए रूस और अमरीका के सामने गुन्गियाते हैं। हम कभी क्यों नहीं इजराइल से सबक लेकर कड़ा प्रतिउत्तर हैं, हम क्यों नहीं उनकी सरहद में घुस कर उन्हें सबक सिखाते। आखिर कब तक हम कब तक अपनी सदुगुण विक्रति का बोझ अपने सरो पर लिए अपने नागरिकों और सैनिको के सर कटवाते रहेंगे। टिट फार टेट की पॉलिसी ही अब हमारा अगला लक्ष्य होना चाहिए। अब और नहीं सदुगुन विक्रति का बोझ उठाने की ताकत है हममे अब तो सबक सिखाने का वक़्त है।
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