दस जुलाई को रिलीस
हुई एस एस
राजमौली निर्देशित फिल्म बाहुबली
एपिक ऐतहासिक गल्प
पे आधारित एक
नया कीर्तमान है।
फिल्म के मुख्य
कलाकार प्रभास (शिवद्दु) तमन्ना
भाटिया (अवन्तिका) और अनुश्का
(रानी देवसेना) हे
।
फ़िल्म की
शुरआत राजकीय षडयन्त्र से
होती हे और
एक स्त्री अपनी
बाँहों में एक
छोटे बच्चे को
लेकर झरना पार
करते हुए दिखती
है। दो सैनिक उसका पीछा
करते रहते हैं।
वह अपने बच्चे
को पानी से
बचाने के लिए
स्वयं नदी मे चली
जाती है और
बच्चे को ऊपर
रखती है।
ये बच्चा झरनॆ के पास एक गाव के मुखिया के यहा पलता हे जो झरने के ऊपर पहाडो के बीच स्थित महिष्मती राज्य का राजकुमार हे । वह बालक शिवुडु (प्रभास) बड़ा हो कर एक दिन झरने के ऊपर पहुच जाता है। और वहा उसकी मुलाकात अवंतिका (तमन्ना) से होती है। और फ़िर शिवुडू के बल और तमन्ना के रङ्गो का मेल होता हे । कल - कल बह्ते झरने, पहाडो पे बिछी सङ्ग्मरमर सी बर्फ़ और नीले रङ्ग की सिमटती - बिखरती तितलिया एक अजब समा बान्ध देती हे । जहा अवन्तिका सिवुडू से मिलने से पहले बदामी रङ्ग की एक योद्धा होती हे जो महिष्मती के अत्याचारी राजा भल्लाल के खिलाफ़ छापामार लडाई लडती हे वही शिवुडू से मिलने के बाद वो लाल रङ्ग की परी सी लगती हे । शिवुडू इस लडाई मे अवन्तिका का साथ देता हे और रानी देव्सेना को भल्लाल के केद से छुडा लाता हे जो पच्चीस साल से भल्लाल की केद मे हे। ये रानी देवसेना असल मे शिवुडू की मा होती हे । और यहा से फ़िल्म फ़्लेश बेक मे चली जाती हे ।
ये बच्चा झरनॆ के पास एक गाव के मुखिया के यहा पलता हे जो झरने के ऊपर पहाडो के बीच स्थित महिष्मती राज्य का राजकुमार हे । वह बालक शिवुडु (प्रभास) बड़ा हो कर एक दिन झरने के ऊपर पहुच जाता है। और वहा उसकी मुलाकात अवंतिका (तमन्ना) से होती है। और फ़िर शिवुडू के बल और तमन्ना के रङ्गो का मेल होता हे । कल - कल बह्ते झरने, पहाडो पे बिछी सङ्ग्मरमर सी बर्फ़ और नीले रङ्ग की सिमटती - बिखरती तितलिया एक अजब समा बान्ध देती हे । जहा अवन्तिका सिवुडू से मिलने से पहले बदामी रङ्ग की एक योद्धा होती हे जो महिष्मती के अत्याचारी राजा भल्लाल के खिलाफ़ छापामार लडाई लडती हे वही शिवुडू से मिलने के बाद वो लाल रङ्ग की परी सी लगती हे । शिवुडू इस लडाई मे अवन्तिका का साथ देता हे और रानी देव्सेना को भल्लाल के केद से छुडा लाता हे जो पच्चीस साल से भल्लाल की केद मे हे। ये रानी देवसेना असल मे शिवुडू की मा होती हे । और यहा से फ़िल्म फ़्लेश बेक मे चली जाती हे ।
जब शिवुडु
के दादा जी
को राजा बनाया
गया। इस निर्णय
पर बज्जला ने
यह सोचा कि
यह उसके अपंगता
के कारण किया
गया है। लेकिन
उसके भाई की
मृत्यु के पश्चात
उसे लगता है
की अब उसका
बेटा नया राजा
बनेगा। लेकिन पिछले राजा
की पत्नी मरने
से पहले अमरेन्द्र
बाहुबली को जन्म
देती है। बज्जला
की पत्नी सीवगामी
(रम्या कृष्णन) उत्तराधिकारी के
लिए पूरी तरह
से सही फैसला
लेनें के लिए
यह कहती है
कि जो भी
इसके लिए उपयुक्त
होगा वही इस
इस गद्दी में
बैठेगा। इसके बाद
महिष्मती पे एक
बहुत बडा हम्ला
होता हे और
एक बहुत बड़े
युद्ध के बाद
बाहुबली को नया
राजा बना दिया
जाता है और
भल्लाला देव को
सेनाध्यक्ष के पद
दे दिया जाता
है। अभी फ़िल्म
अपनी रोचक्ता की
चरम पे होती
हे कि महान
राज्य्भक्त कट्प्पा के द्वरा
बहुबली की धोके
से हत्या कर
दी जाती हे
और यही पे
फ़िल्म रुक जाती
हे अपने दुसरे
भाग के लिये.
अब जब तक
ये ना जान
लिया जाये राज्य्भक्त
कटप्पा ने बहुबली
को क्यो मारा
और अम्रेन्द्रा बाहुबली
के लड्के महेन्द्रा
बाहुबली ने भल्लाल
को मारकर किस
तरह बदला लिया
तब तक सुकून
नही मिलेगा। और
इन्त्जार रहेगा बाहुबली के
दुसरे भाग का
। तो बाहुबली
को देखने की
सशक्त वजहे हे
- प्रभास
के बाहुबल, तमन्ना
के रङ्ग और
झर - झर बहते
झरने और पहाडो
की खुबसूरती ।
तो अगर नही
देखी तो हे
ये रोमञ्चक फ़िल्म
तो तुरन्त देख
डालिय्रे वादा हे
एक मिनट को
भी जो प्रभास
और तमन्ना पलक
झपकने दे ।
--सुधीर मौर्य
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletedhanywad sir.
ReplyDeleteबाहुबली चलचित्र की सुंदर समीक्षा प्रस्तुत की आपने सुधीर जी.
ReplyDeleteji bahut aabhar Rachna ji
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