ओह
मेरे देश !
मुझे चकित करते हो तुम
जब देखता हूँ में
नरपिशाच, हत्यारे और कामुक
अफज़ल की मजार पर
सर और घुटने देखते लोगो को
जिसे मारा था
वीर शिवाजी ने
देश और धर्म की रक्षा के लिए।
ओह
मेरे देश !
मुझे चकित करते हो तुम
जब देखता हूँ में
देश की राजधानी में
औरंगजेब रोड को
वो औरंगजेब जिसने
बहाई थी
अकारण ही देश में रक्त की नदिया।
ओह
मेरे देश !
मुझे चकित करते हो तुम
जब देखता हूँ में
अपने ही देश के लोगो को
अपने ही देश में
शरणार्थी होते।
ओह
मेरे देश !
मुझे चकित करते हो तुम
(मेरी एक कविता का अंश )
---सुधीर मौर्य
सच है, अपना देश सदा चकित करता है।
ReplyDeleteha ji
Delete