Wednesday, 29 November 2017

देवलदेवी (ऐतहासिक उपन्यास) दूसरा संस्करण।

Redgrab books की नई किताब - देवलदेवी
इस उपन्यास की नायिका अन्हिलवाड़ की राजकुमारी देवलदेवी है, पर इसका कथानक खुसरोशाह के बिना पूरा नहीं हो सकता। देवलदेवी और खुसरोशाह भारतीय इतिहास के वो रोशन सितारे हैं जिन्हें हमेशा बादलों या कुहासे के पीछे रहना पड़ा। खुसरोशाह अन्हिलवाड का वो युवा था जिसने अपने पराक्रम से खिल़जी वंश को समूल उखाड़ फेंका और आन्हिलवाड़ विध्वंस का प्रतिशोध लिया।
देवलदेवी, जिसकी देह बार-बार विडम्बना की शिकार हुई, सुअवसर की प्रतीक्षा में यह विषपान करती रही, और उन्हें वो सुअवसर उपलब्ध करवाया महान सम्राट श्री धर्मदेव (नसरुद्दीन खुसरोशाह) ने।
देवलदेवी का शौर्य किसी तरह पद्मनी, दुर्गावती और लक्ष्मीबाई से कम नहीं है; और न ही खुसरोशाह का राणा प्रताप और शिवाजी से, परन्तु इतिहास ने इन महान विभूतियों को भुला दिया।
यह उपन्यास महान खुसरोशाह और देवलदेवी की स्मृतियों को पुन: स्थापित करने का सफल प्रयास है। आशा है कि इतिहास इन महान विभूतियों के साथ न्याय करेगा।
15 दिसंबर से प्री बुकिंग शुरू ....
लेखक:- सुधीर मौर्य  

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-12-2017) को "पढ़े-लिखे मुहताज़" (चर्चा अंक-2805) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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