Wednesday 15 February 2017

तुम हसँती अच्छी लगती हो - सुधीर मौर्य

तुम हंसती अच्छी लगती हो। 
कुछ फूल है मेरे दामन में
मैं सोचता हूँ इस सावन में
तुमको ये अर्पित कर दूंगा 
मन अपना समर्पित कर दूंगा।

तुम हंसती अच्छी लगती हो
तुम फूल सी मुझको दिखती हो
तुम देवी हो सुंदरता की
मुझे परियों सी तुम लगती हो।
जब फूल खिलेंगे बागों में
तब आ जाना तुम बाहों में
कुछ फूल सजेंगे सेहरे में
कुछ फूल सजेंगे गज़रे में।
तुम हंसती अच्छी लगती हो। 
--सुधीर मौर्य 

5 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (19-02-2017) को
    "उजड़े चमन को सजा लीजिए" (चर्चा अंक-2595)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  3. बहुत सुन्दर रचना

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