Tuesday, 3 January 2017

अस्थिर नेतृत्व का परिणाम - सुधीर मौर्य

तुमसे झेलम छीनी गई 

केसर के खेत छीने गए 
ढाका का मलमल और 
ढाकेश्वरी छीन लिए गए 
बामियान के बुद्ध 
और माता हिंगलाज 
तुम्हारे न रहे 
तक्षशिला और पुरुषपुर से 
तुम्हारा नामोनिशान 
मिट गया 
गांधार को 
तुम्हारी आँख के सामने 
कंधार बना दिया गया 
दिल कहे जाने वाली 
दिल्ली की गलियों को 
अकबर, औरंगजेब और 
तुग़लक़ के नाम पे 
बाँट दिया गया 
 चलो मान लेते हैं 
ये परिस्थिवश हुआ होगा 
पर आज, आज तो 
सामर्थ्य है तुम्हारे पास 
है नरों के इंद्र !
है राजाओ के नाथ !
फिर बंगाल क्यों 
हमसे छीना जा रहा है ? 
--सुधीर मौर्य

No comments:

Post a Comment