Thursday, 13 October 2016

भावनाये (लघुकथा) - सुधीर मौर्य


हल्के - हल्के शिप लेकर शराब पीती वो लड़की मुझे न जाने क्यों अच्छी नहीं लग रही थी।
लड़खड़ाते कदमो से वो पार्टी हाल से बाहर निकलते हुए वो बोली 'मैं पार्टी में आई थी, बीफ पार्टी में नहीं धिक्कार है तुम सब पे जो लोगो की भावनाये नहीं समझते।' 

वो लड़की न जाने क्यों मुझे अच्छी लगने लगी थी। 
--सुधीर मौर्य 

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