रूबरू दुनिया के जुलाई 2014 के अंक में अंतिम कवर पेज पर प्रकाशित मेरी नज़्म 'लौटा लाएगा तुम्हे' .
मैं जनता हूँ
तुम्हे लौटा लाएगा
एक दिन
मेरा प्रेम
तुम्हे लौटा लाएंगे
मेरे हाथ के
लिखे खत
तुम्हे लौटा लाएंगे
मेरी आँख से
झरते अश्रु
तुम्हे लौटा लाएंगी
हरसिंगार की कलियाँ
मेरे घर की
मेहंदी की महक
तुम्हे लौटा लायंगी
तुम्हारी गलियों में बहती हवा
मेरी अटारी से उड़ती पतंग
तुम्हे लौटा लाएंगे
तुम्हारी आँखों में
बसते मेरे ख्वाब
तुम लौट आओगी
इसलिए नहीं कि
मै करता हूँ तुम्हे प्रेम
इसलिए
कि मैं प्रियतम हूँ तुम्हारा।
--सुधीर मौर्य
सुंदर भाव ।
ReplyDeletebahut dhanywad sir...
Deleteबेहतरीन भावों को समेटे सुंदर प्रस्तुति।।।
ReplyDeletedhanywad mitr..
ReplyDeleteआप की ये खूबसूरत रचना...
ReplyDeleteदिनांक 07/07/2014 की नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है...
आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित हैं...आप के आगमन से हलचल की शोभा बढ़ेगी...
सादर...
कुलदीप ठाकुर...
bahut dhanywad sir
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