उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती के
सरंक्षण में यदि
कश्मीरी हिन्दुओ की घर
वापसी हुई तो
निश्चित रूप से
कश्मीरी हिन्दुओ को और
भी कष्ट झेलने
पड़ेंगे। यदि लव
जेहादी अपने मक़सद
में असफल भी
रहे तो वो
रेप जिहाद को
अपना मकसद
बनायगे और उमर
अब्दुल्ला व महबूबा
मुफ़्ती के शासन
में जिहादियों
के लिए ये
सब अत्यंत आसान
रहेगा और हो
सकता है उमर
व महबूबा
की तरफ से जिहादियों
को प्रोत्साहन ही
मिले।
यदि कश्मीरी हिन्दुओ को
सम्मान के साथ
उनकी घर वापसी
करनी है
कश्मीर
से 'धारा ३७०'
को हटाकर उसे
केंद्र शासन के
अधीन लाना होगा।
आखिर कब तक कश्मीरी
हिन्दू अपने ही
देश सम्मान खोकर अपनी
ही ललनाओं की
अस्मिता जिहादियों की भेंट
चढ़ते देखते रहेंगे,
कब तक वे
अपने देश में
अपने घरो से
दूर सम्मान को
तरसते रहेंगे।
कभी कोई वामपंथी बुद्धजीवी क्या अपने किसी लेख में ये विचार करेगा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत के कश्मीर प्रान्त में हिन्दुओ की जनसख्याँ में इतनी कमी क्योंकर हुई। क्यों इन इलाकों में हिन्दू कहलाने वाले लोग सिर्फ १ , २ प्रतिशत में सिमट कर रह गए हैं। वामपंथी बुद्धजीवी सिर्फ और सिर्फ हिरोशिमा, इराक़ और अफगानिस्तान पर गपोड़बाज़ी करते हुए पाये जाते हैं।
--सुधीर मौर्य
आदमी का भविष्य तो सुरक्षित है ना इस देश में ?
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