Tuesday, 20 May 2014

माई लास्ट अफेयर - Sudheer Maurya

उपन्यास की नायिका में मुझे फरनाज का अक्स दिखाई देता और मैं उपन्यास में लिखे वर्णन के आधार पर फरनाज को अपनी प्रेमिका मान अपने ख्वाबों में रात बिस्तर पर उसकी बजती चूड़ियों की आवाज सुता रहता। मैंने ख्वाबों में ख्यालों में अब तक हर रात उसके सय्याल गुलाबी होठों को चूमा था। उसके बदन की उभारों और घाटियों की सैर की थी।
 
ये इन उपन्यासों का और टीवी पर देखी गई फिल्मों का ही असर रहा होगा जो उस दिन मैंने उस मन्दिर के आगे बेबाक उसके हाथ को पकड़कर उसे `आई लव यू' बोल दिया।
मेरी बात सुनकर उसने अपनी बोझल पलकें झुका लीं और हया से बोली कुणाल मैं भी तुमसे मुहब्बत करती हूँ। उसका हाथ अब तक मेरे हाथ में था।
उसके इन शब्दों ने मुझे दुनिया भर की खुशी दे डाली। उस दिन हम तमाम दिन साथ रहे प्यार की बातों के साथ। सुम्बुल भी साथ भी पर वो शायद हमारे इकरारे मुहब्बत को समझ गई थी इसलिये उसके कदम हमारे कदमों से तमाम दिन थोड़ा पीछे ही रहे।
फिर शाम हम अलग हुए, समर विकेशन के बाद मिलने के वादे के साथ हाँ अगर आज की तरह कहीं अचानक मुलाकाते रोज होती रहे।
``ये मेरे पहले अफेयर की शुरुआत थी।''

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